कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर लोकसभा उपाध्यक्ष (डिप्टी स्पीकर) के रिक्त पद को जल्द भरने की मांग की है। खरगे ने इस बात पर चिंता जताई कि यह महत्वपूर्ण संवैधानिक पद पिछले दो लोकसभा कार्यकालों (17वीं और 18वीं) से खाली है, जो भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था और संविधान के प्रावधानों के लिए ठीक नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि संविधान के अनुच्छेद 93 के तहत डिप्टी स्पीकर का चुनाव अनिवार्य है, और इसकी अनदेखी लोकतंत्र के मूल्यों को कमजोर करती है।
विपक्षी दल से उपाध्यक्ष चुनने की परंपरा
खरगे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपने पत्र का हवाला देते हुए लिखा, “पहली से 16वीं लोकसभा तक हर बार डिप्टी स्पीकर का चुनाव किया गया। परंपरागत रूप से यह पद मुख्य विपक्षी दल के सदस्य को दिया जाता रहा है।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि 17वीं लोकसभा (2014-2019) में डिप्टी स्पीकर का चुनाव नहीं हुआ, और यह गलत परंपरा 18वीं लोकसभा में भी जारी है। खरगे ने कहा कि यह स्थिति संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन है और इसे तत्काल ठीक करने की आवश्यकता है। आखिरी बार 16वीं लोकसभा में AIADMK के नेता एम थंबी दुरई को डिप्टी स्पीकर चुना गया था।
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संवैधानिक प्रावधान और डिप्टी स्पीकर की भूमिका
खरगे ने अपने पत्र में संविधान के अनुच्छेद 93 का उल्लेख किया, जो स्पष्ट रूप से कहता है कि लोकसभा को “जितनी जल्दी हो सके” स्पीकर और डिप्टी स्पीकर का चुनाव करना होगा। डिप्टी स्पीकर लोकसभा में स्पीकर के बाद दूसरा सबसे महत्वपूर्ण पीठासीन अधिकारी होता है। उनकी मुख्य जिम्मेदारी स्पीकर की अनुपस्थिति में सदन की कार्यवाही का संचालन करना है। इस दौरान उनके पास स्पीकर के समान अधिकार होते हैं, जिसमें व्यवस्था बनाए रखना, बहसों का संचालन करना और नियमों से संबंधित निर्णय लेना शामिल है। खरगे ने कहा कि परंपरागत रूप से डिप्टी स्पीकर का चुनाव लोकसभा के दूसरे या तीसरे सत्र में होता है, और इसकी तारीख स्पीकर द्वारा तय की जाती है।
डिप्टी स्पीकर की निष्पक्षता जरूरी
लोकसभा का डिप्टी स्पीकर एक महत्वपूर्ण संवैधानिक पद है, जिसके लिए निष्पक्षता अनिवार्य है। भले ही डिप्टी स्पीकर किसी राजनीतिक दल से चुना जाए, उसे गैर-पक्षपातपूर्ण तरीके से काम करना होता है। यह पद सदन की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाता है। खरगे ने इस बात पर जोर दिया कि डिप्टी स्पीकर का पद खाली रहना न केवल परंपराओं के खिलाफ है, बल्कि यह लोकतांत्रिक मूल्यों को भी कमजोर करता है।
खरगे की मांग और भविष्य
खरगे ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि वे इस मुद्दे को गंभीरता से लें और जल्द से जल्द डिप्टी स्पीकर का चुनाव कराएं। उन्होंने कहा कि यह न केवल संवैधानिक आवश्यकता है, बल्कि यह विपक्ष के प्रति सम्मान और लोकतांत्रिक परंपराओं को बनाए रखने का प्रतीक भी है। 2019 के बाद से यह पद खाली है, और 18वीं लोकसभा के गठन के बाद भी इस दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई है। खरगे की यह मांग राजनीतिक और संवैधानिक दोनों दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है।
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