अमेरिका में काम कर रहे हजारों माइग्रेंट वर्कर्स के लिए यूएस डिपार्टमेंट ऑफ़ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) का हालिया फैसला किसी भूकंप से कम नहीं है। DHS ने बिना किसी चेतावनी के Employment Authorisation Document (EAD) की ऑटोमैटिक रिन्यूअल प्रक्रिया को तुरंत प्रभाव से समाप्त कर दिया है।यह निर्णय सीधे तौर पर उन लोगों को प्रभावित करता है जिनके EAD का रिन्यूअल फिलहाल प्रोसेस में है। अब वे तब तक काम नहीं कर सकते, जब तक नया कार्ड मंज़ूर होकर उनके हाथ में न आ जाए—और अमेरिका में यह प्रक्रिया अक्सर महीनों तक देर कर देती है।
क्या है EAD और इसकी अहमियत?
EAD एक ऐसा दस्तावेज़ है जो माइग्रेंट्स को अमेरिका में कानूनी तौर पर काम करने की अनुमति देता है।टेक, हेल्थकेयर, रिसर्च, एजुकेशन और सर्विस इंडस्ट्री जैसे क्षेत्रों में लाखों लोग इसी कार्ड पर निर्भर हैं।EAD के बिना नौकरी जारी रखना गैर-कानूनी माना जाता है, इसलिए इसकी समयबद्ध रिन्यूअल माइग्रेंट्स की रोज़मर्रा की ज़रूरत है।
DHS का सख्त कदम: पेंडिंग रिन्यूअल नौकरी बंद
DHS के मुताबिक, अब ऑटो-रिन्यूअल का फायदा किसी भी श्रेणी में उपलब्ध नहीं होगा।
मतलब
- अगर आपका कार्ड एक्सपायर हो गया
- और रिन्यूअल अभी प्रोसेस में है
- तो आप काम करना तुरंत रोकने को बाध्य होंगे
इसका असर सिर्फ माइग्रेंट्स पर ही नहीं, अमेरिका की कंपनियों और वर्कफोर्स पर भी पड़ेगा।
इमिग्रेशन विशेषज्ञों की चेतावनी नौकरी का संकट
इमिग्रेशन एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस फैसले से हजारों लोग अपनी नौकरी खो सकते हैं।कई कंपनियाँ पहले से ही स्टाफ की कमी से जूझ रही हैं, खासकर हेल्थकेयर और टेक सेक्टर में।इतने संवेदनशील समय में EAD रिन्यूअल रोक देना वर्कफोर्स में उथल-पुथलउत्पादन और सेवाओं में रुकावटकंपनियों की लॉस और प्रोजेक्ट डिलेजैसी समस्याओं को जन्म देगा।
अडवोकेसी ग्रुप्स की नाराज़गी यह फैसला क्यों गैर-ज़रूरी?
अमेरिका के कई अडवोकेसी और इमिग्रेंट राइट्स ग्रुप्स ने DHS के कदम को “कठोर और असंवेदनशील” बताया है।उनका तर्क है कि माइग्रेंट वर्कर्स अमेरिका की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैंटेक और हेल्थकेयर की बड़ी इंडस्ट्री उन्हीं के दम पर चलती हैरिन्यूअल में देरी सिस्टम की कमी है, माइग्रेंट्स की गलती नहीं ऐसे में उन्हें नौकरी से जबरन दूर करना न तो न्यायसंगत है और न ही आवश्यक।
सवाल अभी भी बाकी
EAD ऑटो-रिन्यूअल बंद करने के फैसले ने अमेरिका में माइग्रेंट समुदाय को असुरक्षा और तनाव में डाल दिया है।यह सच है कि नियमों में बदलाव सरकार का अधिकार है, लेकिन बिना चेतावनी लाखों जिंदगियों को संकट में डाल देना—यह सवाल उठाता है कि क्या यह निर्णय सही समय पर और सही सोच के साथ लिया गया है?अभी डर भी है… गुस्सा भी… और सबसे ज़्यादा—अनिश्चितता।

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