ईद-उल-फितर 2025: रमज़ान के बाद बाजारों में रौनक

रमज़ान का पाक महीना समाप्त होते ही मुसलमानों का सबसे बड़ा त्योहार ईद-उल-फितर खुशी और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि अमन, भाईचारे और आपसी मेल-मिलाप का प्रतीक भी माना जाता है।

जैसे-जैसे ईद नज़दीक आ रही है, बाज़ारों में रौनक बढ़ गई है। लोग नए कपड़े, मिठाइयाँ, इत्र और सजावट की चीज़ें खरीदने में जुट गए हैं। घरों में सेवइयाँ और तरह-तरह के पकवान तैयार किए जा रहे हैं।

बाज़ारों में चहल-पहल और खरीदारी का जुनून

ईद से पहले के दिनों में शहरों के बाज़ार गुलजार हो जाते हैं। कपड़े, जूते, चूड़ियाँ, इत्र और घर की सजावट से जुड़े सामानों की दुकानों पर भारी भीड़ देखी जा रही है। खासतौर पर महिलाएं और बच्चे ईद के नए कपड़ों को लेकर उत्साहित रहते हैं।

  • लखनऊ, दिल्ली, हैदराबाद, मुंबई और कोलकाता जैसे शहरों में बाज़ारों की रौनक देखते ही बन रही है।
  • चांदनी चौक (दिल्ली), चौक (लखनऊ), चारमीनार मार्केट (हैदराबाद) जैसी जगहों पर खरीदारी के लिए देर रात तक लोग उमड़ रहे हैं।
  • मिठाई की दुकानों पर सेवइयों, खजूर और शरबत की मांग बढ़ गई है।

घरों में पकवानों की खुशबू

ईद के दिन घरों में खासतौर पर सेवइयाँ बनाई जाती हैं। कई तरह की सेवइयाँ जैसे शीर खुरमा, कोरमा, बिरयानी, कबाब और अन्य पारंपरिक व्यंजन तैयार किए जाते हैं।

हर घर में मेहमानों के स्वागत के लिए खास इंतजाम होते हैं। परिवार के लोग एक-दूसरे के घर जाकर ईद मुबारक कहते हैं और मिठाइयाँ बांटते हैं।

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यह भी पढ़ें: ईदगाहों और मस्जिदों में नमाज़ की तैयारी

ईद का सबसे खास पहलू ईदगाह में नमाज़ अदा करना होता है। शहरों और गांवों में बड़े-बड़े ईदगाहों और मस्जिदों में सामूहिक नमाज़ अदा की जाती है।

  • लोग नए और बेहतरीन कपड़े पहनकर ईदगाह में जाते हैं।
  • नमाज़ के बाद एक-दूसरे से गले मिलकर ईद की मुबारकबाद दी जाती है।
  • इसके बाद गरीबों और जरूरतमंदों को फितरा दिया जाता है, जिससे समाज में भाईचारे और समानता का संदेश फैलता है।

ईदी और बच्चों की खुशियाँ

बच्चों के लिए ईद का सबसे खास आकर्षण ईदी होती है। बड़े बुजुर्ग अपने छोटे बच्चों को प्यार से ईदी के रूप में पैसे या तोहफे देते हैं।

बच्चे नए कपड़े पहनकर दोस्तों और परिवार के साथ घूमते हैं और तरह-तरह के पकवानों का लुत्फ उठाते हैं।

ईद का संदेश – भाईचारा और प्यार

ईद-उल-फितर सिर्फ एक धार्मिक त्योहार नहीं, बल्कि संपूर्ण मानवता के लिए प्रेम और सौहार्द का संदेश भी है।

यह दिन क्षमा, दया और खुशी बांटने का दिन माना जाता है।

यह त्योहार समानता और दान (जकात और फितरा) का संदेश देता है, जिससे समाज में जरूरतमंदों की मदद की जाती है।

यह अमन और भाईचारे को बढ़ावा देने का अवसर है, जहां लोग सभी मतभेद भुलाकर एक-दूसरे से गले मिलते हैं।

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