शनिवार, 6 सितंबर को हैदराबाद में नौ दिवसीय गणेश चतुर्थी उत्सव का भव्य समापन हुआ। इस अवसर पर 69 फीट 97 इंच ऊँची खैरताबाद गणेश प्रतिमा की शोभायात्रा शहर के मध्य स्थित हुसैन सागर झील की ओर रवाना हुई।सुबह 7 बजकर 44 मिनट पर प्रतिमा को ले जाने वाला वाहन स्थापना स्थल से आगे बढ़ा। श्रद्धालुओं ने “गणेश महाराज की जय” के जयकारे लगाकर इस अवसर को और भी खास बना दिया।
श्रद्धालुओं और जुलूस की भव्यता
उत्सव स्थल पर प्रतिमा की एक झलक पाने के लिए भारी संख्या में भक्त मौजूद थे। जुलूस मार्ग लगभग 2.5 किलोमीटर लंबा था और इसके दौरान यातायात व्यवस्था सुचारू रखने के लिए पुलिस और स्वयंसेवकों की कड़ी तैनाती की गई।जुलूस दोपहर लगभग 1 बजकर 30 मिनट पर विसर्जन स्थल पर पहुंचा। इस बार हैदराबाद में अकेले हुसैन सागर में लगभग 50,000 गणेश मूर्तियों का विसर्जन किया गया। पूरे शहर में जुलूस और उत्सव 40 घंटे से अधिक समय तक जारी रहे।
सुरक्षा और व्यवस्था
सुरक्षा को लेकर इस बार लगभग 29,000 पुलिसकर्मी शिफ्टों में तैनात किए गए थे। इसके अलावा, ड्रोन निगरानी और प्रमुख चौराहों पर 250 अतिरिक्त सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए थे। इसका उद्देश्य था कि शहर में शांति और व्यवस्था बनी रहे।पुलिस और प्रशासन ने मिलकर जुलूस मार्ग, प्रमुख चौराहे और झील के आसपास की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया। इस तरह का समन्वय उत्सव की सफलता और श्रद्धालुओं की सुरक्षा दोनों सुनिश्चित करता है।
उत्सव का सामाजिक और धार्मिक महत्व
गणेश उत्सव न केवल धार्मिक भावना का प्रतीक है, बल्कि यह सामूहिक उत्साह और एकता का संदेश भी देता है। इस आयोजन में लोग अपने परिवार और समुदाय के साथ मिलकर भाग लेते हैं, जिससे सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा मिलता है।शहरभर में आयोजित इस प्रकार के जुलूस और विसर्जन से संस्कृति, भक्ति और पर्यावरण के प्रति जागरूकता भी सामने आती है। प्रशासन और जनता के सहयोग से यह उत्सव सुरक्षित और भव्य रूप से संपन्न होता है।

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