भारत ने पाकिस्तान के आतंकवादी चेहरे को वैश्विक मंच पर उजागर करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। सरकार ने विभिन्न देशों में सांसदों के एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को भेजने का निर्णय लिया है, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), कांग्रेस और अन्य दलों के नेताओं को शामिल किया गया है। इस कदम का उद्देश्य पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद की सच्चाई को दुनिया के सामने लाना और वैश्विक समुदाय को भारत के दृष्टिकोण से अवगत कराना है।
हालांकि, इस प्रतिनिधिमंडल में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद और पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान को भी शामिल किया गया था, लेकिन उन्होंने इस दौरे में हिस्सा लेने से इंकार कर दिया। टीएमसी ने रविवार को केंद्र सरकार को स्पष्ट कर दिया कि यूसुफ पठान या उनकी पार्टी का कोई अन्य सांसद इस सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा नहीं बनेगा। ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी ने अपने बयान में कहा, “हमारा मानना है कि देश सर्वोपरि है। हमने केंद्र सरकार को देश की रक्षा के लिए आवश्यक हर कार्रवाई में पूर्ण समर्थन देने का वादा किया है। हमारे सशस्त्र बलों ने देश को गौरवान्वित किया है और हम उनके प्रति हमेशा आभारी रहेंगे। लेकिन विदेश नीति पूरी तरह केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में है। इसलिए, विदेश नीति को तय करने और उसकी जिम्मेदारी लेने का काम केंद्र सरकार को ही करना चाहिए।”
भारत का यह कदम हाल के घटनाक्रमों के मद्देनजर उठाया गया है, विशेष रूप से पहलगाम आतंकी हमले के बाद। भारत ने इस हमले का जवाब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिए दिया, जिसमें पाकिस्तान और पीओके में स्थित 9 आतंकी ठिकानों को नष्ट किया गया। इस कार्रवाई ने पाकिस्तान को हिलाकर रख दिया, जिसके बाद उसने आक्रामक रुख अपनाते हुए भारत के कई शहरों पर हमले की कोशिश की। हालांकि, भारतीय सुरक्षा बलों ने पाकिस्तान की हर साजिश को नाकाम कर दिया। अब भारत ने वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को और मजबूत करने के लिए यह रणनीति अपनाई है।
इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल सांसद दुनिया के विभिन्न देशों में जाकर पाकिस्तान के आतंकवादी समर्थन और उसकी गतिविधियों के बारे में तथ्यों को प्रस्तुत करेंगे। यह कदम न केवल भारत की कूटनीतिक ताकत को दर्शाता है, बल्कि वैश्विक समुदाय के बीच आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता को बढ़ावा देने का भी प्रयास है। सरकार ने इस मिशन के लिए सांसदों का चयन सावधानी से किया है, ताकि सभी प्रमुख दलों का प्रतिनिधित्व हो और यह संदेश जाए कि भारत इस मुद्दे पर एकजुट है।
यूसुफ पठान के इंकार ने हालांकि कुछ चर्चाओं को जन्म दिया है। एक रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार ने सीधे पठान से संपर्क किया था, लेकिन उनकी पार्टी ने इस मिशन में शामिल न होने का फैसला किया। टीएमसी का यह रुख उनकी उस नीति को दर्शाता है, जिसमें वे विदेश नीति के मामलों में केंद्र सरकार को पूर्ण स्वायत्तता देने की बात करते हैं। फिर भी, भारत सरकार इस मिशन को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध है और जल्द ही यह प्रतिनिधिमंडल अपने दौरे पर रवाना होगा।
यह कदम भारत की उस प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जिसमें वह आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई को न केवल सैन्य स्तर पर, बल्कि कूटनीतिक और वैश्विक मंचों पर भी मजबूती से लड़ना चाहता है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह प्रतिनिधिमंडल वैश्विक समुदाय को पाकिस्तान की सच्चाई बताने में कितना सफल होता है।

संबंधित पोस्ट
CM Yogi ने जनता से की ये बड़ी अपील! जाने पूरी खबर
PM Modi का नेहरू पर गंभीर आरोप! कहा ‘वंदे मातरम्’ की करवाई पड़ताल’
Sonia Gandhi ने विपक्ष पर साधा निशाना!