भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच हमेशा ही रोमांच और तनाव से भरे होते हैं। लेकिन हाल ही में हुए मुकाबले में, मैदान पर कुछ ऐसा घटा जो सिर्फ़ क्रिकेट तक सीमित नहीं रहा। पाकिस्तान के बॉलर Haris Rauf न सिर्फ़ गेंदबाज़ी कर रहे थे, बल्कि भारतीय फैंस को भड़काने वाले इशारे भी कर रहे थे।

भड़काऊ इशारे और सवाल
मैच के दौरान Haris Rauf ने हाथों से ऐसे इशारे किए जैसे कोई जहाज़ क्रैश हो गया हो।इससे सवाल उठता है – क्या ये इशारे 9/11 या 1965 की युद्ध स्मृतियों को याद दिलाना चाहते थे? या फिर बात चल रही थी ऑपरेशन सिन्दूर की, जिसमें पाकिस्तान का दावा है कि उसके द्वारा कई भारतीय जहाज़ मार गिराए गए थे।इतना ही नहीं, प्रैक्टिस सेशन के दौरान वे बार-बार “6-0, 6-0” चिल्ला रहे थे। इसका तात्पर्य शायद वर्ल्ड कप में भारत से लगातार 6 हारों का बदला लेना था।
खेल और सम्मान
हकीकत यह है कि क्रिकेट एक जेंटलमैन गेम है। मैदान पर प्रतिस्पर्धा होती है, लेकिन भड़काऊ हरकतों और इशारों से न तो सम्मान बढ़ता है और न ही मैच जीतने में मदद मिलती है। ऐसा व्यवहार खिलाड़ियों की छवि को नुकसान पहुँचाता है और खेल की भावना को ठेस पहुँचाता है।भारत ने हमेशा अपने खिलाड़ियों और फैंस के माध्यम से गौरव और सम्मान बनाए रखा है। जब कोई लाइन क्रॉस करता है और भड़काऊ इशारे करता है, तो जवाब देना भी आता है। यही कारण है कि मैदान पर भारत के खिलाड़ियों और फैंस का जवाबदेही वाला रवैया सामने आया।
मैदान की जंग या राजनीति?
यह घटना सिर्फ़ क्रिकेट तक सीमित नहीं है। इसमें राजनीतिक और ऐतिहासिक भावनाएँ भी जुड़ी हुई हैं। ऐसे समय में खिलाड़ियों को चाहिए कि वे अपने इशारों और शब्दों में संयम रखें। खेल का असली मकसद मनोरंजन, खेल भावना और प्रतिस्पर्धा है, न कि दूसरों को भड़काना।
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