भूमिका: एक ऐसा त्योहार जो दिलों को जोड़ता है
भारत एक ऐसा देश है जहां हर पर्व उत्सव बन जाता है, और जब बात श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हो, तो आस्था, उल्लास और उमंग का संगम देखने को मिलता है। इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 16 अगस्त 2025, शनिवार को मनाई जा रही है। पूरे देश में मंदिरों की सजावट, झांकियों की रचना और कीर्तन की गूंज सुनाई देती है। लेकिन अगर इस पावन पर्व को किसी राज्य में खास अंदाज़ में मनाया जाता है तो वह है महाराष्ट्र।
मुंबई में जन्माष्टमी का जोश दही हांडी की धूम
महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई जन्माष्टमी के अवसर पर एक अलग ही रंग में रंग जाती है। यहां का सबसे बड़ा आकर्षण होता है – दही हांडी उत्सव, जो कि श्रीकृष्ण के बचपन की माखन चोरी की लीला पर आधारित होता है।मुंबई के दादर, लालबाग, ठाणे, कल्याण, बोरीवली जैसे इलाकों में गोविंदा टोलियां पूरे जोश के साथ ऊँचाई पर लटकी हुई हांडी को फोड़ने का प्रयास करती हैं। ऊर्जावान युवाओं की टोलियां ‘गोविंदा आला रे’ की धुन पर थिरकती हैं और भीड़ में उत्साह का तूफ़ान आ जाता है।राज्य सरकार और स्थानीय समितियों द्वारा इन आयोजनों में सुरक्षा, ईनाम और पारंपरिक नियमों का पूरा ध्यान रखा जाता है।
पुणे का भक्ति-भाव शांति और श्रद्धा का संगम
अगर मुंबई में जोश है, तो पुणे में भक्ति का विशेष भाव देखने को मिलता है। यहां के इस्कॉन मंदिर और अन्य प्रमुख मंदिरों में जन्माष्टमी के दिन विशेष कीर्तन, झांकियां, और रातभर रात्रि जागरण का आयोजन किया जाता है।श्रद्धालु सुबह से ही मंदिर पहुंचने लगते हैं, और रात 12 बजे श्रीकृष्ण जन्म की आरती के साथ पूरा वातावरण आध्यात्मिक हो जाता है। पुणे की जन्माष्टमी मुंबई से अलग है यहां भक्त भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं में आत्मसात होकर उन्हें महसूस करते हैं।
अन्य शहरों में उत्सव नांदेड़, लातूर और नागपुर की सजावट
महाराष्ट्र के अन्य शहरों जैसे नांदेड़, लातूर, और नागपुर में भी जन्माष्टमी बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है।यहां के स्थानीय गोविंदा मंडल अपने-अपने इलाकों में छोटे-छोटे मंचों पर दही हांडी के आयोजन करते हैं। मंदिरों को फूलों, लाइटिंग और रंगोली से सजाया जाता है।इन शहरों में भी पारंपरिकता को पूरी तरह से निभाया जाता है — लोग व्रत रखते हैं, श्रीकृष्ण के भजन गाते हैं, और लीलाओं की झांकियों का आनंद लेते हैं।
इस बार जन्माष्टमी कुछ खास हो
अगर आप इस बार जन्माष्टमी को किसी अनूठे अनुभव में बदलना चाहते हैं, तो महाराष्ट्र जरूर जाएं।मुंबई की दही हांडी हो या पुणे की भक्ति-रस में डूबी रात, श्रीकृष्ण के प्रेम में हर शहर एक नई कहानी कहता है।जहां हर गली, हर नुक्कड़, हर घर में कृष्ण की लीलाएं गूंजती हैं और “जय श्रीकृष्ण” की पुकार हर दिल में बस जाती है।
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