November 5, 2025

मोकामा हत्याकांड: जदयू उम्मीदवार अनंत सिंह सहित कई गिरफ्तार, 14 दिन की हिरासत!

जन सुराज पार्टी के समर्थक दुलारचंद यादव की हत्या ने पूरे क्षेत्र में तनाव पैदा कर दिया। वे गुरुवार को मोकामा में जन सुराज प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी के प्रचार के दौरान हमले का शिकार हुए। पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने खुलासा किया कि हृदय और फेफड़ों में कठोर वस्तु से गहरी चोटें लगने से ‘कार्डियो-रेस्पिरेटरी फेल्योर’ हुआ, जिससे उनकी मौत हुई। पटना SSP ने इसे स्पष्ट हत्याकांड करार दिया है।

पुलिस की बड़ी कार्रवाई: अनंत सिंह गिरफ्तार

पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए अब तक 80 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें सबसे बड़ा नाम जदयू उम्मीदवार अनंत सिंह का है। अनंत सिंह को उनके दो करीबी सहयोगियों — मणिकांत ठाकुर और रंजीत राम — के साथ शनिवार-रविवार मध्यरात्रि बाढ़ स्थित आवास से हिरासत में लिया गया। पटना कोर्ट ने तीनों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। इस घटना से जुड़ी पांच प्राथमिकियां दर्ज हो चुकी हैं और जांच तेज गति से चल रही है।

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम: 13 CAPF कंपनियां तैनात

मोकामा और आसपास के क्षेत्रों में हिंसा की आशंका को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। 13 कंपनियां केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF), दो एसटीएफ टीमें और पटना पुलिस की चार क्यूआरटी यूनिट्स तैनात की गई हैं। पुलिस महानिदेशक विनय कुमार ने सख्त चेतावनी दी:

“कानून हाथ में लेने वालों को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वे कोई भी हों।”

राजनीतिक बयानबाजी तेज: तेजस्वी का हमला

इस गिरफ्तारी पर विपक्षी नेता तेजस्वी यादव ने तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा:

“इसकी उम्मीद थी, यह पहले ही होना चाहिए था। बिहार में ‘जंगल राज’ जैसी स्थिति है, जहां हत्याएं आम हो चुकी हैं।”

वहीं, जदयू ने इसे “राजनीतिक साजिश” करार दिया है। अनंत सिंह लंबे समय से विवादों में रहे हैं और पहले भी हत्या, अपहरण जैसे गंभीर मामलों में जेल जा चुके हैं।

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चुनावी माहौल पर असर, जांच जारी

मोकामा सीट पर मतदान की तारीख नजदीक है और यह घटना चुनावी समीकरण बदल सकती है। जन सुराज पार्टी ने इसे “लोकतंत्र पर हमला” बताया है। पुलिस सभी CCTV फुटेज, गवाहों के बयान और फोरेंसिक साक्ष्यों की जांच कर रही है। SSP ने आश्वासन दिया कि दोषियों को जल्द सजा मिलेगी।

यह मामला बिहार की कानून-व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। चुनावी हिंसा की यह घटना न केवल मोकामा, बल्कि पूरे राज्य के लिए चिंता का विषय है। पुलिस की सतर्कता और निष्पक्ष जांच ही शांति बहाल कर सकती है।

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