October 15, 2025

किडनी फेल से बच्चों की मौत: खांसी का सिरप बन सकता है जानलेवा, DGHS ने दी चेतावनी

मध्य प्रदेश के Chhindwara जिले से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। पिछले दो हफ्तों में 9 मासूम बच्चों की मौत हुई है, जिनका कारण Kidney Failure बताया जा रहा है। मौतों के पीछे संदेह की सुई जा रही है Cough Syrups की तरफ। स्वास्थ्य अधिकारियों का मानना है कि कुछ खांसी की दवाओं में मौजूद toxic elements बच्चों की किडनी और अन्य अंगों को नुकसान पहुँचा रहे हैं।

देशभर में फैल रहा डर

मध्य प्रदेश के अलावा, महाराष्ट्र में दो बच्चों की मौत और राजस्थान के Sikar जिले में एक मौत की पुष्टि हुई है। इन घटनाओं ने पूरे देश में fear and panic फैला दिया है। माता-पिता अपने बच्चों को खांसी की दवा देने में सतर्क हो गए हैं। इस खतरनाक घटनाक्रम ने साबित कर दिया कि over-the-counter medicines भी बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो सकती हैं।

DGHS ने जारी की अहम एडवाइजरी

Directorate General of Health Services (DGHS) ने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि छह साल से कम उम्र के बच्चों को बिना doctor prescription के कोई भी खांसी की दवा नहीं दी जानी चाहिए। DGHS ने यह भी सुझाव दिया कि किसी भी दवा के सेवन से पहले विशेषज्ञ से परामर्श लेना जरूरी है। यह कदम बच्चों की health safety सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।

खांसी की दवाओं में संभावित खतरा

स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, कुछ कफ सिरप में toxic ingredients हो सकते हैं जो बच्चों की kidney function और liver function को प्रभावित कर सकते हैं। इस वजह से बच्चों में organ failure और मौत का खतरा बढ़ गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि केवल सुरक्षित और प्रमाणित दवाओं का ही उपयोग करना चाहिए।

माता-पिता के लिए सावधानी के उपाय

  1. 6 साल से कम उम्र के बच्चों को बिना डॉक्टर की सलाह खांसी की दवा न दें।
  2. किसी भी खांसी या सर्दी की दवा देने से पहले pediatrician consultation लें।
  3. बच्चों की सेहत पर नजर रखें और किसी भी adverse effect की स्थिति में तुरंत डॉक्टर को सूचित करें।
  4. ऑनलाइन खरीदी जाने वाली cough syrups की authenticity जरूर जांचें।

इन घटनाओं ने यह स्पष्ट कर दिया कि बच्चों की सुरक्षा में कोई समझौता नहीं होना चाहिए। माता-पिता और अभिभावक vigilant and cautious रहें और केवल सुरक्षित और प्रमाणित दवाओं का उपयोग करें। DGHS की एडवाइजरी को गंभीरता से लें और बच्चों की स्वास्थ्य सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दें।

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