November 28, 2025

भारत का पाकिस्तान को कड़ा जवाब: ‘अपना काला इतिहास देखो, राम मंदिर पर बोलने का हक नहीं!’

आजादी के बाद से भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव की कोई कमी नहीं रही, लेकिन 26 नवंबर 2025 को अयोध्या के राम मंदिर में ध्वज फहराने की ऐतिहासिक घटना पर पाकिस्तान की बयानबाजी ने एक बार फिर सीमा पार विवाद को भड़का दिया। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने राम मंदिर को ‘अल्पसंख्यकों के खिलाफ भारत की भेदभावपूर्ण नीति’ का प्रतीक बताते हुए कश्मीर और सिंध पर भी टिप्पणी की। लेकिन भारत ने इस बार चुप्पी साधने की बजाय गरिमापूर्ण लेकिन सख्त लहजे में जवाब दिया। विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग में पाकिस्तान को आईना दिखाया, जो इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाएगा।

पाकिस्तान की बयानबाजी: राम मंदिर को निशाना बनाया

पाकिस्तान ने राम मंदिर में ध्वजोन्मोचन समारोह को ‘भारत सरकार की अल्पसंख्यक-विरोधी साजिश’ करार दिया। उनके विदेश मंत्रालय ने दावा किया कि यह घटना भारत में धार्मिक असहिष्णुता को दर्शाती है, साथ ही कश्मीर में मानवाधिकारों का उल्लंघन और सिंध प्रांत में हिंदू अल्पसंख्यकों की स्थिति पर सवाल उठाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मंदिर परिसर में पवित्र भगवा ध्वज फहराने को ‘राजनीतिक ध्रुवीकरण’ का हथियार बताया गया। यह बयानबाजी पाकिस्तान की पुरानी रणनीति का हिस्सा लगती है—भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप कर अंतरराष्ट्रीय मंच पर सनसनी फैलाना। लेकिन इस बार भारत ने इसे बर्दाश्त नहीं किया।

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MEA का सख्त प्रतिकार: ‘नफरत फैलाने का हक नहीं’

MEA प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा, “हमने पाकिस्तान के इन बयानों को देखा है और इन्हें वैसे ही घृणा के साथ खारिज करते हैं जैसी इनका हक है।” उन्होंने पाकिस्तान को कटघरे में खड़ा करते हुए जोर दिया कि एक ऐसा देश, जिसका अल्पसंख्यकों के प्रति ‘गहरे दागदार रिकॉर्ड’ है—जिसमें हिंदू, सिख, ईसाई समुदायों पर अत्याचार, मंदिरों का विध्वंस, जबरन धर्मांतरण और संस्थागत दमन शामिल है—उसे दूसरों को उपदेश देने का कोई नैतिक अधिकार नहीं। जायसवाल ने साफ शब्दों में कहा, “पाकिस्तान को अपनी आंतरिक समस्याओं पर नजर डालनी चाहिए, न कि खोखले उपदेश देने चाहिए।” राम मंदिर को भारत की आस्था और सम्मान का प्रतीक बताते हुए MEA ने जोर दिया कि यह भारत का आंतरिक मामला है, जिसमें पाकिस्तान का कोई लॉकस स्टैंडी नहीं। यह जवाब न सिर्फ कूटनीतिक था, बल्कि पाकिस्तान के मानवाधिकार उल्लंघनों पर सीधी चोट भी था—जैसे बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में अल्पसंख्यकों की बिगड़ती स्थिति।

पाकिस्तान का काला इतिहास: अल्पसंख्यकों पर अत्याचार

भारत का यह प्रतिकार पाकिस्तान के घरेलू रिकॉर्ड को उजागर करता है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान में हिंदू आबादी 1947 के 15% से घटकर आज 2% रह गई है। मंदिरों पर हमले, लड़कियों का जबरन धर्मांतरण और ब्लास्फेमी कानूनों का दुरुपयोग आम बात है। ईसाई और अहमदिया समुदाय भी लगातार उत्पीड़न का शिकार हैं। MEA ने इशारा किया कि जो देश ‘अपनी आग’ नहीं बुझा सकता, वह भारत के मंदिरों पर टिप्पणी करने लायक नहीं। यह बयान न सिर्फ राम मंदिर विवाद को सुलझाता है, बल्कि पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर बेनकाब भी करता है।

राजनीतिक संदेश: नफरत छोड़ो, शांति अपनाओ

भारत का यह जवाब कूटनीति की मिसाल है—जुबानी तलवारबाजी नहीं, बल्कि तथ्यों और गरिमा पर आधारित। MEA ने पाकिस्तान से नफरत की राजनीति छोड़ने और शांति की दिशा में कदम बढ़ाने की अपील की। यह घटना भारत की मजबूत विदेश नीति को दर्शाती है, जहां आंतरिक उपलब्धियों पर बाहरी हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं। अब सवाल यह है कि पाकिस्तान इस पर कैसे रिएक्ट करेगा—क्या यह विवाद और बढ़ेगा या शांति की पहल होगी?

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