कर्नाटक के मंगलुरु जिले के धर्मस्थल से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने सबको हैरान कर दिया है। यह कहानी किसी वेब सीरीज़ से कम नहीं है, लेकिन यह पूरी तरह से हकीकत है। कुछ दिनों पहले बुज़ुर्ग महिला सुजाता भट्ट ने दावा किया कि उनकी बेटी अनन्या भट्ट लापता हो गई है और उसे मारकर गांव में दफन कर दिया गया है। इस दावे ने पूरे इलाके में सनसनी मचा दी।पुलिस ने जांच शुरू की, मीडिया ने रिपोर्टिंग तेज़ कर दी और सोशल मीडिया पर लोग इस मामले को लेकर चर्चा करने लगे। लेकिन जैसे-जैसे समय बीता, मामला उलझता गया और एक नया मोड़ सामने आया।
यू-टर्न पर यू-टर्न क्या सच है?
कुछ दिन बाद सुजाता भट्ट ने एक यूट्यूबर को इंटरव्यू दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि “अनन्या भट्ट नाम की कोई लड़की मेरी बेटी नहीं है, और मेरी कोई बेटी भी नहीं है। यानि कि उनकी पहली बात से वह पूरी तरह पलट गईं।लेकिन इससे भी बड़ा खुलासा तब हुआ जब उन्होंने बताया कि ये बयान उन्होंने मजबूर होकर दिया था। उनका कहना था कि एक यूट्यूबर ने उन पर दबाव डाला और झूठा बयान करवाया।यहां से मामला और भी पेचीदा हो गया है। पुलिस ने यूट्यूबर एमडी समीर को नोटिस जारी किया है और उनसे पूछताछ की तैयारी कर रही है।
सोशल मीडिया और वास्तविकता कब तक चलेगा ड्रामा?
यह मामला सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ और कई लोग इसे एक बड़ा सोशल मीडिया ड्रामा बता रहे हैं। सवाल उठते हैं कि क्या सच में कोई लड़की गायब है या यह पूरी कहानी मनगढ़ंत है?यह घटना इस बात की भी याद दिलाती है कि सोशल मीडिया और यूट्यूब चैनलों पर वायरल होने के लिए कभी-कभी झूठी खबरें भी बनाई जाती हैं, जो न केवल आम लोगों को गुमराह करती हैं बल्कि पुलिस और प्रशासन की जांच भी प्रभावित करती हैं।
पुलिस की भूमिका और आगे की जांच
पुलिस ने मामले की गंभीरता को समझते हुए यूट्यूबर को नोटिस जारी किया है और जांच जारी है। प्रशासन ने साफ कर दिया है कि जो भी इस मामले में दोषी होगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।साथ ही यह भी जरूरी है कि किसी भी मामले में किसी भी तरह की अफवाहों और झूठी खबरों पर ध्यान न दिया जाए, ताकि समाज में शांति बनी रहे और सच सामने आ सके।मंगलुरु के धर्मस्थल में लाशें दफन का जो मामला उठा था, वह अब एक भ्रांतिपूर्ण कहानी की शक्ल ले चुका है। एक ओर जहां एक बुजुर्ग महिला ने बेटी के लापता होने का दावा किया, वहीं बाद में उन्होंने इसे झूठ बताया और साथ ही कहा कि उन पर दबाव बनाया गया।यह मामला हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि सच और झूठ के बीच की रेखा कितनी धुंधली होती जा रही है, खासकर तब जब सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की भूमिका इतनी अहम हो गई हो।क्या सच कभी सामने आएगा? या यह मामला भी एक सोशल मीडिया ड्रामा बनकर रह जाएगा?
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