महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलनकारी मनोज जरांगे पाटिल ने आक्रामक रुख अपनाया है। उन्होंने ओबीसी कोटे से मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर मुंबई के आजाद मैदान में एल्गार का आह्वान किया है। गुरुवार से शुरू हुई उनकी भूख हड़ताल रविवार को तीसरे दिन में प्रवेश कर चुकी है। जरांगे ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वह सोमवार से पानी भी त्याग देंगे। इस आंदोलन ने महाराष्ट्र की सियासत में हलचल मचा दी है।
मनोज जरांगे का बयान: भूख हड़ताल होगी और कड़ी
मनोज जरांगे ने स्पष्ट किया कि उनकी भूख हड़ताल अब और सख्त होगी। उन्होंने कहा, “आज और कल मैंने पानी पिया, लेकिन सोमवार से मैं पानी भी नहीं लूंगा। सरकार हमारी मांगों को अनसुना कर रही है। इसलिए मैं भूख हड़ताल को और कड़ा करूंगा।” इसके साथ ही उन्होंने मराठा समुदाय, खासकर युवाओं से अपील की कि वे शांति बनाए रखें और ऐसा कोई कदम न उठाएं जिससे समुदाय की गरिमा को ठेस पहुंचे। जरांगे ने सरकार को अल्टीमेटम देते हुए कहा कि वह बिना आरक्षण के मुंबई नहीं छोड़ेंगे।
मराठा समुदाय को पैसा न देने की अपील
जरांगे ने मराठा समुदाय से यह भी अपील की कि वे किसी को अनावश्यक पैसा न दें। उन्होंने कहा, “कुछ लोग समाज के नाम पर रेनकोट और छाता बांटने के बहाने पैसे जमा कर रहे हैं। यह गलत है। मराठा समुदाय केवल गरीबों की सेवा करना चाहता है, न कि किसी के व्यवसाय को बढ़ावा देना।” उन्होंने जोर देकर कहा कि यह उनकी आखिरी चेतावनी है और मराठा समुदाय को ऐसी गतिविधियों से दूर रहना चाहिए।
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शिंदे समिति और सरकार की प्रतिक्रिया
शिंदे समिति के प्रतिनिधिमंडल ने जरांगे से मुलाकात की और दावा किया कि उनकी कुछ मांगें आंशिक रूप से मान ली गई हैं। हालांकि, जरांगे इससे संतुष्ट नहीं हैं। दूसरी ओर, कैबिनेट सब-कमेटी की बैठक में कानूनी उलझनों को सुलझाने के लिए रविवार शाम 5 बजे महाधिवक्ता के साथ चर्चा का निर्णय लिया गया। उप-समिति के अध्यक्ष राधाकृष्ण विखे पाटिल ने बताया कि इस बैठक में कानून और न्याय विभाग के सभी सचिव शामिल होंगे।
मुख्यमंत्री की बैठक पर जरांगे का सवाल
जरांगे ने मुख्यमंत्री आवास पर हुई एक बैठक का जिक्र करते हुए सवाल उठाया। उन्होंने कहा, “मैंने सुना कि मुख्यमंत्री ने सड़क साफ करने का आदेश दिया था। फिर जिसे आदेश दिया गया, वह सड़क क्यों नहीं साफ कर रहा? सरकार केवल बैठकें कर रही है, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठा रही।” उनका कहना है कि सरकार की ओर से बार-बार बैठकें आयोजित की जा रही हैं, लेकिन मराठा आरक्षण का मुद्दा अब भी अनसुलझा है।
आंदोलन का भविष्य
मराठा आरक्षण आंदोलन अब निर्णायक मोड़ पर है। जरांगे का कहना है कि वह अपनी मांगों को लेकर पीछे नहीं हटेंगे। मुंबई के आजाद मैदान में मराठा समुदाय का समर्थन बढ़ता जा रहा है। यह आंदोलन न केवल सामाजिक, बल्कि राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हो गया है। सरकार के सामने अब चुनौती है कि वह इस संवेदनशील मुद्दे पर जल्द से जल्द कोई ठोस निर्णय ले।
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