मानसून सत्र का समापन और प्रमुख मुद्दे
21 जुलाई से शुरू हुआ संसद का मानसून सत्र 2025 समाप्त हो चुका है। इस सत्र में बिहार में निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) का मुद्दा छाया रहा। विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर चर्चा की मांग को लेकर लगातार हंगामा किया, जिससे संसद में गतिरोध बना रहा। विपक्ष ने इस मुद्दे को संसद से सड़क तक ले जाकर विरोध प्रदर्शन किया। इस बीच, सरकार ने दोनों सदनों में कुल 15 विधेयक पारित कराए, जिसमें संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025 सबसे चर्चित रहा। यह विधेयक बिहार चुनाव से पहले भ्रष्टाचार के मुद्दे पर विपक्ष के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है।
संविधान संशोधन बिल: क्यों हो रहा विरोध?
सरकार ने भारी हंगामे के बीच ‘संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025’ पेश किया। इस बिल में प्रावधान है कि गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तारी और 30 दिन तक हिरासत में रहने पर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्रियों को पद से हटाया जा सकता है। सरकार ने इस बिल को संसद की संयुक्त समिति को भेजने का प्रस्ताव रखा, जिसे दोनों सदनों ने मंजूरी दे दी। विपक्ष का कहना है कि यह विधेयक विपक्षी दलों की सरकारों को निशाना बनाने और लोकतंत्र को कमजोर करने की कोशिश है। कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने इसे लोकतंत्र की हत्या करार दिया, जबकि राज्यसभा सांसद सैयद नसीर हुसैन ने इसे विपक्षी नेताओं को खत्म करने का कानूनी हथियार बताया।
पीएम मोदी का विपक्ष पर हमला
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ पर निशाना साधते हुए कहा कि वे भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े कदमों और घुसपैठ जैसे मुद्दों का विरोध कर रहे हैं। पीएम ने राजद और कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उनके अधिकांश नेता जेल में हैं या जमानत पर। उन्होंने परोक्ष रूप से दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का जिक्र करते हुए कहा कि कुछ लोग जेल से सरकार चला रहे हैं, जो संवैधानिक मर्यादा का उल्लंघन है।
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भ्रष्टाचार के मुद्दे पर बीजेपी की रणनीति
संविधान संशोधन बिल के जरिए बीजेपी ने विपक्ष को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घेरने की रणनीति अपनाई है। खासकर बिहार में, जहां लालू यादव और कांग्रेस जैसे दल इस मुद्दे पर बैकफुट पर हैं। पीएम मोदी ने कहा कि विपक्षी दलों ने सत्ता में रहते हुए जनता के पैसे लूटे, जबकि उनकी सरकार ने पिछले 11 वर्षों में भ्रष्टाचार का कोई बड़ा मामला सामने नहीं आने दिया। इस बिल ने बिहार चुनाव से पहले राजनीतिक माहौल को और गर्म कर दिया है।
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