August 28, 2025

नागालैंड के राज्यपाल एल. गणेशन का निधन राष्ट्र ने एक समर्पित जनसेवक को खो दिया

16 अगस्त 2025, शुक्रवार को भारत ने एक सच्चे राष्ट्रभक्त, समर्पित जनसेवक और सादगी की मिसाल माने जाने वाले नेता एल. गणेशन को खो दिया। वे 80 वर्ष के थे और पिछले कुछ दिनों से चेन्नई के एक निजी अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती थे।यह घटना 8 अगस्त को उस समय हुई जब चेन्नई के टी नगर स्थित उनके घर पर वे अचानक गिर पड़े। सिर में गंभीर चोट लगने के बाद उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें ICU में भर्ती किया गया और लगातार डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया। लेकिन इलाज के तमाम प्रयासों के बावजूद, शुक्रवार को उन्होंने अंतिम सांस ली।

सादगी और सेवा का जीवन

एल. गणेशन का जन्म 16 फरवरी 1945 को हुआ था। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के वरिष्ठ प्रचारक रहे और जीवन भर भारतीय जनता पार्टी (BJP) से सक्रिय रूप से जुड़े रहे। पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा और विचारधारा की गहराई उन्हें एक प्रभावशाली वक्ता और संगठक बनाती थी।उन्होंने मध्य प्रदेश से राज्यसभा सांसद के रूप में भी सेवाएं दीं और एक सच्चे जनप्रतिनिधि की भूमिका निभाई। सबसे खास बात यह रही कि उन्होंने जीवन भर विवाह नहीं किया और खुद को पूरी तरह से राष्ट्र और समाज की सेवा में समर्पित रखा।

राज्यपाल के रूप में योगदान

एल. गणेशन ने 20 फरवरी 2023 को नागालैंड के 21वें राज्यपाल के रूप में कार्यभार संभाला था। इससे पहले वे मणिपुर और कुछ समय के लिए पश्चिम बंगाल के भी राज्यपाल रह चुके थे। अपने हर कार्यकाल में उन्होंने शांति, विकास और संवाद को प्राथमिकता दी। उनकी प्रशासनिक शैली में अनुभव की स्पष्ट झलक दिखाई देती थी।

शोक की लहर राष्ट्रीय नेताओं ने दी श्रद्धांजलि

गणेशन जी के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरा शोक जताया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखागणेशन जी एक समर्पित राष्ट्रवादी थे, जिन्होंने अपना जीवन सेवा और राष्ट्र निर्माण के लिए समर्पित किया। उन्हें तमिल संस्कृति से गहरा लगाव था।देशभर के नेताओं, सामाजिक संगठनों और आम लोगों ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी और उनकी सेवाओं को याद किया। नागालैंड, तमिलनाडु और दिल्ली समेत पूरे देश में शोक की लहर फैल गई।

एक युग का अंत, लेकिन स्मृतियों में अमर रहेंगे

एल. गणेशन के निधन के साथ ही भारत ने एक ऐसे नेता को खो दिया, जो सादगी, निष्ठा और जनसेवा की प्रतिमूर्ति थे। वे आज भले हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी सादगीभरा जीवन, अनुशासन, और देशभक्ति की भावना हमें प्रेरणा देती रहेगी।

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