सोचिए… वो मासूम सुबह जहां बच्चों की हंसी, स्कूल की घंटी और पढ़ाई की हलचल होनी चाहिए थी… वहां एक जोरदार धमाका हुआ और पल भर में सब कुछ मलबा बन गया।खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के दक्षिण वजीरिस्तान में रविवार को आतंकियों ने एक सरकारी हाई स्कूल को IED ब्लास्ट से उड़ा दिया। धमाका इतना ज़बरदस्त था कि स्कूल की कई कक्षाएं और बाउंड्री वॉल पूरी तरह ध्वस्त हो गईं।
सौभाग्य से जानें बचीं, लेकिन पढ़ाई पर कहर
खुशकिस्मती रही कि उस समय स्कूल में कोई बच्चा या शिक्षक मौजूद नहीं था। वरना ये एक और बड़े नरसंहार की कहानी बन जाती। लेकिन खतरा अभी टला नहीं है। डर अब बच्चों के मन में बस गया है।
कलम की जगह गोलियां, किताबों की जगह बारूद!
पुलिस और स्थानीय प्रशासन का कहना है कि हाल के हफ्तों में इस इलाके में आतंकवादी गतिविधियाँ तेज़ी से बढ़ी हैं, और सबसे बड़ा असर पढ़ाई पर पड़ा है।जहाँ एक तरफ भारत में बच्चों के बेहतर भविष्य की बातें हो रही हैं, वहीं पाकिस्तान के कई इलाकों में बच्चे ये सोचकर स्कूल जाते हैं पता नहीं लौटेंगे या नहीं!
पाकिस्तान आतंक का गढ़ या शिकार?
पाकिस्तान दुनिया के सामने खुद को आतंकवाद का “शिकार” बताता है, लेकिन सच्चाई कुछ और ही है:
- यहीं से आतंकी संगठन पैदा होते हैं
- यहीं उन्हें आश्रय और समर्थन मिलता है
- और यहीं मासूम पीढ़ियों को बारूद में झोंक दिया जाता है
सवाल ये है…
- क्या पढ़ाई अब भी बच्चों का हक़ है पाकिस्तान में?
- क्या आतंक के इस जहर को पाकिस्तान खुद नहीं पाल रहा?
- और क्या दुनिया अब भी पाकिस्तान को “बेकसूर” मानेगी?

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