ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने पाकिस्तान को करारा जवाब देकर अपनी सैन्य और कूटनीतिक ताकत का प्रदर्शन किया। इस ऑपरेशन ने न केवल युद्ध के मैदान में भारत की श्रेष्ठता साबित की, बल्कि वैश्विक मंच पर भी भारत की स्थिति को मजबूत किया। ऑपरेशन के बाद भारत ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की आगामी बैठक में तुर्की और अजरबैजान की उपस्थिति पर सवाल उठाकर अपनी कूटनीतिक सक्रियता दिखाई। यह बैठक चीन के तियानजिन शहर में होने वाली है। भारत ने SCO में डायलॉग पार्टनर्स के रूप में तुर्की और अजरबैजान की भागीदारी पर आपत्ति जताई है, जिसे लेकर भारत ने मेजबान चीन के सामने अपनी चिंताएं स्पष्ट की हैं।
पाकिस्तान के समर्थकों पर भारत की आपत्ति
भारत ने तुर्की और अजरबैजान के पाकिस्तान के साथ गहरे संबंधों को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्की ने पाकिस्तान को ड्रोन जैसे रक्षा उपकरणों से सहायता प्रदान की थी, जबकि अजरबैजान ने पाकिस्तान को राजनीतिक समर्थन दिया था। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, भारत ने SCO शिखर सम्मेलन से पहले मेजबान चीन को अपनी आपत्तियों से अवगत कराया है। चूंकि SCO में निर्णय सर्वसम्मति से लिए जाते हैं, भारत की यह आपत्ति महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। भारत ने तुर्की और अजरबैजान के इस रवैये को क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा माना है।
भारत में तुर्की और अजरबैजान का बहिष्कार
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने पाकिस्तान के ड्रोन को मार गिराया था, जिसके बाद जांच में पता चला कि ये ड्रोन तुर्की द्वारा निर्मित थे। इस घटना के बाद भारत में तुर्की और अजरबैजान के खिलाफ जनाक्रोश बढ़ा। लोगों ने इन देशों के सामानों का बहिष्कार शुरू कर दिया और व्यापारिक संबंध तोड़ने की मांग की। यह जनभावना भारत की कूटनीतिक रणनीति को और मजबूत करती है, जिसमें आतंकवाद और उसके समर्थकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई पर जोर दिया गया है।
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जयशंकर का आतंकवाद पर सख्त संदेश
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने SCO विदेश मंत्रियों की बैठक में आतंकवाद के मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया। उन्होंने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जिक्र किया, जिसमें 26 लोग मारे गए थे। जयशंकर ने कहा कि यह हमला जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने और लोगों को धर्म के आधार पर बांटने के लिए किया गया था। उन्होंने SCO सदस्य देशों से आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने का आह्वान किया। जयशंकर ने स्पष्ट किया कि SCO की स्थापना का मूल उद्देश्य इन तीन बुराइयों से निपटना था, और सभी सदस्यों को इस दिशा में प्रतिबद्ध रहना चाहिए।
भारत-चीन संबंधों में सुधार
जून 2020 की गलवान घाटी झड़प के बाद भारत और चीन के रिश्तों में सुधार के संकेत दिख रहे हैं। विदेश मंत्री जयशंकर ने हाल ही में तियानजिन में SCO बैठक में हिस्सा लिया, जो उनकी पहली चीन यात्रा थी। इस दौरान उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ भारत के दृढ़ रुख को दोहराया। भारत का यह सख्त रवैया SCO के मूल सिद्धांतों के अनुरूप है, और यह क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
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