ऑपरेशन सिंदूर: भारत द्वारा चलाए गए सफल ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के आर्मी चीफ और फील्ड मार्शल जनरल आसिम मुनीर अब अमेरिका की यात्रा पर जा सकते हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिका ने उन्हें 14 जून को आयोजित होने वाले 250वें यूएस आर्मी डे सेलिब्रेशन में भाग लेने के लिए औपचारिक निमंत्रण भेजा है। सूत्रों का कहना है कि मुनीर 12 जून को वॉशिंगटन डीसी पहुंच सकते हैं, जहां उनकी उच्चस्तरीय बैठकों में भागीदारी की संभावना है।
रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तानी एंबेसी के विश्वसनीय सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है कि आसिम मुनीर को यह निमंत्रण अमेरिकी रक्षा प्रतिष्ठान की ओर से मिला है। इस यात्रा के दौरान पाकिस्तान की जमीन पर पल रहे आतंकी संगठनों, खासकर भारत और अफगानिस्तान में सक्रिय टेरेरिस्ट नेटवर्क्स पर बातचीत की संभावना जताई जा रही है।
ऑपरेशन सिंदूर: भारत की जवाबी कार्रवाई
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने निर्णायक कदम उठाते हुए 6-7 मई की दरम्यानी रात को ऑपरेशन सिंदूर चलाया। इस ऑपरेशन के तहत भारत ने पाकिस्तान में मौजूद नौ आतंकी ठिकानों पर बेहद सटीक और विध्वंसक हमले किए। भारतीय सेना की इस कार्रवाई ने पाकिस्तान को चौतरफा झटका दिया और उसकी आतंकी रणनीति की पोल खोल दी।
इसके जवाब में पाकिस्तान ने भारत के सैन्य ठिकानों पर हमले की असफल कोशिश की, लेकिन भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाई से वह पूरी तरह बैकफुट पर आ गया। 10 मई को दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम हुआ, जिसे अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी कूटनीतिक सफलता बताने की कोशिश की। हालांकि, भारत सरकार ने स्पष्ट किया कि यह सीजफायर पूरी तरह भारत और पाकिस्तान की आपसी सहमति से हुआ था।
सीजफायर के लिए पाकिस्तान ने खुद की थी पहल
सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान ने भारत से दो बार सीजफायर की अपील की थी। पहली बार 7 मई को और फिर 10 मई को पाकिस्तान के डीजीएमओ द्वारा भारत से औपचारिक संपर्क किया गया। इसके बाद 10 मई को शाम 3:40 बजे दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच बातचीत के बाद संघर्ष विराम पर सहमति बनी।
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मुनीर की यात्रा पर विश्व की नजरें
आसिम मुनीर की अमेरिका यात्रा ऐसे समय हो रही है जब पाकिस्तान पर वैश्विक दबाव बढ़ रहा है कि वह अपनी सरजमीं से आतंकवाद को खत्म करे। अमेरिकी प्रशासन इस अवसर का उपयोग पाकिस्तान को आतंकियों पर सख्त कार्रवाई के लिए मजबूर करने में कर सकता है। भारत भी इस मुद्दे पर अमेरिका से लगातार सहयोग की अपेक्षा करता रहा है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद अमेरिका की मेहमाननवाजी में क्या पाकिस्तान आतंकवाद पर अपनी भूमिका बदलने को मजबूर होता है या यह केवल एक औपचारिक यात्रा बनकर रह जाती है।
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