October 15, 2025

नवरात्रि 2025: पीएम मोदी का ‘जीएसटी बचत उत्सव’ संदेश, स्वदेशी और आध्यात्मिक ऊर्जा का आह्वान!

नवरात्रि का शुभारंभ, आर्थिक राहत और भक्ति का संगम

जय माता दी! 22 सितंबर 2025 को शारदीय नवरात्रि की धूमशाला देशभर में शुरू हो गई, और इस पावन अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीएसटी दरों में हालिया कटौती को ‘जीएसटी बचत उत्सव’ का नाम दिया। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर अपने संदेश में पीएम ने इसे नीतिगत बदलाव से कहीं अधिक बताया—यह त्योहार आर्थिक राहत, आध्यात्मिक नवीनीकरण और स्वदेशी वस्तुओं के लिए नई ऊर्जा का प्रतीक है। “इस बार नवरात्रि का यह शुभ अवसर बहुत विशेष है। जीएसटी बचत उत्सव के साथ-साथ स्वदेशी के मंत्र को इस दौरान एक नई ऊर्जा मिलने वाली है। आइए, विकसित और आत्मनिर्भर भारत के संकल्प की सिद्धि के लिए सामूहिक प्रयासों में जुट जाएं,” पीएम ने लिखा। यह संदेश न केवल उपभोक्ताओं को त्योहारी खरीदारी में राहत देता है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के विजन को मजबूत करता है। नवरात्रि के पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा के साथ शुरू हुआ यह पर्व साहस, संयम और संकल्प की प्रेरणा देता है।

नवरात्रि में आर्थिक राहत: जीएसटी कटौती का जश्न, उपभोक्ताओं को लाभ

प्रधानमंत्री ने नवरात्रि को आर्थिक उत्सव से जोड़ते हुए कहा कि हालिया जीएसटी संरचना में बदलाव से उच्च-खर्च वाले त्योहारी मौसम में आम नागरिकों को बड़ा लाभ मिलेगा। घरेलू आवश्यक वस्तुओं, परिधानों, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य सामानों पर दरें घटने से खरीदारी सस्ती हो गई है। “इस नवरात्रि पर सचेत खरीदारी करें और स्वदेशी उत्पादों का समर्थन करें। यह केवल आर्थिक कदम नहीं, बल्कि हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के स्वदेशी आदर्शों की पुष्टि भी है,” पीएम ने अपील की। यह कदम मेक इन इंडिया को बढ़ावा देगा, स्थानीय व्यवसायों को मजबूत करेगा और आयात पर निर्भरता कम करेगा। विशेषज्ञों के अनुसार, जीएसटी कटौती से त्योहारी बाजार में 10-15% की बचत संभव है, जो अर्थव्यवस्था को गति देगी। पीएम का यह संदेश उपभोक्तावाद को सकारात्मक दिशा देता है—जहां खरीदारी केवल सुख नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण का माध्यम बने।

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आध्यात्मिक संदेश: माँ शैलपुत्री की पूजा से शक्ति और सौभाग्य

आर्थिक बातों के साथ पीएम ने नवरात्रि के आध्यात्मिक महत्व पर भी प्रकाश डाला। “नवरात्रि में आज मां शैलपुत्री की विशेष पूजा-अर्चना का दिन है। मेरी कामना है कि माता के स्नेह और आशीर्वाद से हर किसी का जीवन सौभाग्य और आरोग्य से परिपूर्ण रहे,” उन्होंने कहा। माँ शैलपुत्री, देवी दुर्गा का प्रथम स्वरूप, हिमालय की पुत्री हैं—जो स्थिरता और आत्मबल की प्रतीक हैं। उनकी पूजा से स्वास्थ्य, शक्ति और खुशी में वृद्धि होती है। पीएम ने जोर दिया कि “साहस, संयम और संकल्प के भक्ति-भाव से भरा यह पावन पर्व हर किसी के जीवन में नई शक्ति और नया विश्वास लेकर आए। जय माता दी!” यह संदेश आधुनिक जीवन की भागदौड़ में आध्यात्मिक जुड़ाव की याद दिलाता है, जहां नवरात्रि केवल उपवास नहीं, बल्कि आत्म-चिंतन का माध्यम है। भक्तों को प्रेरित करते हुए पीएम ने परिवार के साथ पूजा करने और सकारात्मक ऊर्जा फैलाने का आह्वान किया।

सांस्कृतिक जागरूकता: पंडित जसराज भजन से भक्ति का संचार

प्रधानमंत्री ने अपने संदेश को और भावपूर्ण बनाने के लिए पंडित जसराज का प्रसिद्ध भजन साझा किया, जो नवरात्रि की भक्ति को जीवंत करता है। उन्होंने नागरिकों को अपने पसंदीदा भजन पोस्ट करने के लिए प्रोत्साहित किया, ताकि सोशल मीडिया पर भक्ति की लहर फैले। यह कदम नवरात्रि को केवल आर्थिक या भौतिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक जागरूकता के लिए महत्वपूर्ण बनाता है। पीएम के पुराने पोस्ट्स में भी चैत्र नवरात्रि पर लता मंगेशकर और पंडित जसराज के भजनों का जिक्र है, जो उनकी सांस्कृतिक संवेदनशीलता दर्शाते हैं। यह पहल युवाओं को पारंपरिक संगीत से जोड़ेगी और त्योहार को डिजिटल युग में प्रासंगिक बनाएगी।

आत्मनिर्भर भारत का संकल्प, जय माता दी का उद्घोष

पीएम मोदी का यह संदेश नवरात्रि को बहुआयामी उत्सव बनाता है—जहां जीएसटी बचत आर्थिक सशक्तिकरण लाती है, स्वदेशी आत्मनिर्भरता को मजबूत करता है, और माँ शैलपुत्री की पूजा आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करती है। आइए, इस पावन पर्व पर सामूहिक प्रयास से विकसित भारत का सपना साकार करें। शुभ नवरात्रि! जय माता दी! परिवार के साथ पूजा करें, स्वदेशी खरीदें और भक्ति में डूबें—क्योंकि यह त्योहार नई शुरुआत का प्रतीक है।

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