अयोध्या में बन रहे भव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण कार्य अब अपने अंतिम चरण में पहुंच चुका है। राम दरबार के गर्भगृह सहित मंदिर के परकोटे और सप्त ऋषि मंदिरों का कार्य लगभग पूर्ण हो चुका है। यह मंदिर केवल एक वास्तुशिल्पीय चमत्कार नहीं, बल्कि भारत की आस्था और संस्कृति का प्रतीक बन चुका है। आने वाले दिनों में इस मंदिर परिसर में धार्मिक गतिविधियों की एक नई शुरुआत होने जा रही है।
23 मई को राम दरबार की मूर्तियों की प्रतिष्ठा
राम दरबार के गर्भगृह में 23 मई को भगवान श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमान जी की मूर्तियों की प्रतिष्ठा की जाएगी। इन मूर्तियों को मंदिर के गर्भगृह में स्थापित करने की प्रक्रिया विधिवत अनुष्ठानों के साथ संपन्न होगी। इन मूर्तियों के लिए खासतौर पर स्वर्ण-पट्टिकाओं से अलंकृत दरवाजे लगाए गए हैं, जो मंदिर की दिव्यता को और भी भव्य बनाते हैं। मंदिर के प्रथम तल पर अब तक 14 दरवाजों की स्थापना हो चुकी है।
5 जून को गंगा दशहरा पर प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव
5 जून को गंगा दशहरा के पावन अवसर पर राम मंदिर परिसर में स्थित 14 मंदिरों की प्राण-प्रतिष्ठा एक भव्य धार्मिक उत्सव के रूप में आयोजित की जाएगी। इस दिन मंदिरों में देवताओं की मूर्तियों को उनके विशेष संगमरमर के सिंहासनों पर प्रतिष्ठित किया जाएगा। इन सिंहासनों की ऊँचाई दो-दो फुट की है और उन्हें शुद्ध संगमरमर से अत्यंत नक्काशीदार ढंग से बनाया गया है।
30 मई से प्रारंभ होंगे धार्मिक अनुष्ठान
इस उत्सव की तैयारी 30 मई से शुरू हो जाएगी, जब शिवलिंग स्थापना के साथ धार्मिक अनुष्ठानों की शुरुआत होगी। इसके बाद 3 जून से 5 जून तक तीन दिवसीय वैदिक अनुष्ठान कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इस अनुष्ठान में काशी और अयोध्या के कुल 101 वैदिक विद्वान शामिल होंगे जो वेद-पाठ, यज्ञशाला पूजन, वाल्मीकि रामायण पाठ और मंत्रोच्चार करेंगे।
किन मंदिरों में होगी मूर्तियों की प्रतिष्ठा?
प्राण-प्रतिष्ठा उत्सव में मुख्य परिसर के 6 प्रमुख मंदिरों में देवताओं की मूर्तियों को प्रतिष्ठित किया जाएगा। ये मंदिर निम्नलिखित देवताओं को समर्पित हैं:
भगवान शिव
भगवान सूर्य
भगवान गणपति
श्री हनुमान
देवी भगवती
देवी अन्नपूर्णा
इसके अतिरिक्त सप्त मंडपम क्षेत्र के 7 मंदिरों में ऋषि वशिष्ठ, वाल्मीकि, अगस्त्य, विश्वामित्र, अहिल्या, शबरी और निषादराज की प्रतिमाएं प्रतिष्ठित की जाएंगी। इन ऋषियों और भक्तों का श्रीराम के जीवन और रामायण कथा में महत्वपूर्ण योगदान रहा है, और यह प्रतिष्ठा उनके योगदान को श्रद्धांजलि स्वरूप दी जा रही है।
साथ ही, शेषावतार मंदिर में भगवान लक्ष्मण की मूर्ति की भी प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी, जो राम दरबार की संरचना को पूर्णता प्रदान करेगी।
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