भारतीय राजनीति का तापमान अचानक बढ़ गया है।कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने संसद भवन परिसर में चुनाव आयोग पर सीधे-सीधे गंभीर आरोप लगाते हुए कहा यह वोट चोरी का मामला है और इसमें चुनाव आयोग खुद शामिल है।हमारे पास ‘परमाणु बम’ जैसे सबूत हैं।इतना ही नहीं, राहुल गांधी ने 5 अगस्त को एक देशव्यापी आंदोलन का ऐलान करते हुए कहाअब असली खेल होगा। ये लोकतंत्र बचाने की लड़ाई है। तो सवाल उठता है क्या वाकई लोकतंत्र पर हमला हो रहा है?क्या चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्था पर ऐसा हमला वाजिब है या राजनीतिक रणनीति?
आखिर क्या है ‘बिहार SIR’ मामला?
राहुल गांधी के मुताबिक, बिहार SIR के ज़रिए बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए गए।
उनका दावा है कि यह सिर्फ बिहार तक सीमित नहीं है ।बल्कि मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और लोकसभा चुनावों में भी ऐसी संदिग्ध गतिविधियां सामने आई हैं। उन्होंने कहा जब हमने देखा कि आखिरी समय में एक करोड़ नए मतदाता जुड़ गए,
और हमारे मतदाताओं के नाम गायब हो गए तो हमने अपनी जांच शुरू की… और जो सामने आया वो ‘परमाणु बम’ से कम नहीं
चुनाव आयोग का जवाब आरोप बेबुनियाद हैं
चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा हम निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से काम कर रहे हैं।
हर रोज़ लगने वाले बेबुनियाद आरोपों को हम नजरअंदाज कर रहे हैं।चुनाव अधिकारियों को गैर-जिम्मेदाराना बयानों से प्रभावित न होने की सलाह दी गई है।”
क्या अब सुप्रीम कोर्ट दखल देगा?
चुनाव से जुड़े मामलों में सुप्रीम कोर्ट अक्सर अंतिम निर्णायक की भूमिका निभाता है।अब देखना यह है कि क्या विपक्ष इस मामले को न्यायपालिका में लेकर जाएगा यायह मामला राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तक सीमित रह जाएगा?

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