अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अपनी विवादास्पद बयानबाज़ी को लेकर सुर्खियों में हैं। हाल ही में एक मीडिया इंटरैक्शन के दौरान ट्रंप ने इज़राइल-ईरान संघर्ष को लेकर खुले मंच से गाली दे दी — वो भी कैमरों के सामने, लाखों दर्शकों के सामने।
क्या था मामला?
डोनाल्ड ट्रंप ने एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान दावा किया था कि ईरान और इज़राइल के बीच “कुल और समग्र युद्धविराम” का समझौता हुआ है।
ट्रंप ने इसे अपनी कूटनीतिक कामयाबी बताते हुए कहा कि यह उनके हस्तक्षेप का नतीजा है और इससे 13 जून से चल रहे हमलों पर विराम लग जाएगा।
हालाँकि यह “शांति समझौता” टिक नहीं पाया।
कुछ ही घंटों के भीतर फिर से तेल अवीव में मिसाइल हमले, सायरनों की आवाजें और जवाबी कार्रवाई शुरू हो गई। इज़राइली डिफेंस सिस्टम को एक्टिव किया गया, और पूरा क्षेत्र फिर से तनाव की चपेट में आ गया।
ट्रंप का बेकाबू गुस्सा – कैमरे पर फिसली जुबान
पत्रकारों ने जब ट्रंप से इस विफल सीजफायर पर सवाल पूछे, तो ट्रंप का धैर्य जवाब दे गया।
उन्होंने कहा “These two countries have been fighting for so long that they don’t know what the f they’re doing.”
(यानी: “ये दोनों देश इतने सालों से लड़ रहे हैं कि इन्हें अब खुद ही नहीं पता ये क्या *** कर रहे हैं।”)
यह बयान न केवल अशोभनीय था, बल्कि अमेरिकी राजनीतिक इतिहास में शायद पहली बार किसी राष्ट्राध्यक्ष ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सार्वजनिक रूप से F-word का इस्तेमाल किया।
विश्लेषण: गाली से गूंजा अमेरिकी मंच
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप इस वक्त अपने राजनयिक वजूद को दोबारा स्थापित करने की कोशिश में हैं।
वह 2024 के चुनावों से पहले खुद को एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय ‘डीलमेकर’ और ‘पीस मेकर’ के रूप में पेश कर रहे हैं।
लेकिन इस ताज़ा घटनाक्रम ने न केवल उनकी साख पर सवाल खड़े कर दिए, बल्कि यह भी दिखा दिया कि जब चीज़ें उनके मुताबिक नहीं होतीं, तो ट्रंप संवेदनशीलता की मर्यादा पार कर जाते हैं।
जनता की राय बनाम नेता की भाषा
ट्रंप की इस जुबानी फिसलन ने सोशल मीडिया को भी दो हिस्सों में बाँट दिया है—
- एक वर्ग कहता है कि ट्रंप ने वही कहा, जो सच्चाई है — और दुनिया के नेता अक्सर उसे छुपा लेते हैं।
- दूसरा वर्ग मानता है कि इस तरह की भाषा राजनीतिक गरिमा के खिलाफ है और ट्रंप ने लोकतांत्रिक मूल्यों को ठेस पहुँचाई है।
क्या यह पहली बार है?
वर्जीनिया यूनिवर्सिटी के ‘मिलर सेंटर’ के इतिहासकार रसेल राइली के अनुसार: “नेताओं का गुस्सा बंद दरवाज़ों के पीछे समझ आता है, लेकिन सार्वजनिक मंच पर इस तरह की भाषा अप्रत्याशित है। ट्रंप ने राजनैतिक शालीनता की सीमा लांघ दी।”
ट्रंप पहले भी विवादास्पद भाषा और बयानों के लिए जाने जाते रहे हैं, लेकिन इस बार उन्होंने सीधे प्रेस और कैमरों के सामने गाली दी, जो कि अमेरिका के इतिहास में शायद पहली बार हुआ।
ट्रंप की बौखलाहट का कारण?
- ट्रंप लंबे समय से खुद को अंतरराष्ट्रीय ‘डील मेकर’ और शांति-दूत के रूप में पेश करते रहे हैं।
- उन्हें उम्मीद थी कि यह युद्धविराम उनके राजनीतिक करियर के लिए एक बड़ी उपलब्धि बनेगा।
- लेकिन जब सब कुछ उनके मुंह पर फट गया, तो उनका इगो और फ्रस्ट्रेशन एक साथ बाहर निकल आया।
क्या ये सिर्फ एक गाली थी?
नहीं। यह एक बयान था – कि अमेरिका, इज़राइल और ईरान के रिश्ते कितने जटिल और संवेदनशील हैं।
और यह भी कि ट्रंप अभी भी अमेरिकी राजनीति में एक बड़ा और अनफिल्टर्ड चेहरा बने हुए हैं।
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