अमेरिका में इस समय एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में प्रशासन ने पूर्व उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की सीक्रेट सर्विस सुरक्षा को समाप्त करने का फैसला लिया है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब कमला हैरिस अपनी आत्मकथा “107 डेज़” को लेकर एक पुस्तक यात्रा शुरू करने जा रही हैं। इस निर्णय ने अमेरिका की राजनीति में नए सिरे से बहस छेड़ दी है।
क्या है पूरा मामला?
इस घटना की शुरुआत गुरुवार को हुई, जब व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पुष्टि की कि होमलैंड सिक्योरिटी विभाग को एक कार्यकारी ज्ञापन भेजा गया है, जिसमें कमला हैरिस की सुरक्षा व्यवस्था समाप्त करने का आदेश दिया गया।आमतौर पर, अमेरिका में पूर्व उपराष्ट्रपतियों को पद छोड़ने के बाद छह महीने तक संघीय सुरक्षा प्रदान की जाती है। लेकिन जो बाइडन प्रशासन ने सत्ता में आने के बाद इस अवधि को बढ़ाकर 18 महीने कर दिया था। इस विस्तार के तहत कमला हैरिस को जुलाई 2026 तक सुरक्षा मिलनी थी, लेकिन ट्रंप प्रशासन ने यह सुरक्षा समाप्त करने का फैसला कर लिया है, जो सोमवार से प्रभावी हो जाएगा।
सियासी रंग क्यों ले रहा है यह फैसला?
यह कदम तब उठाया गया है जब कमला हैरिस एक बार फिर से राजनीतिक सक्रियता की ओर बढ़ रही हैं। उनकी आत्मकथा “107 डेज़” अगले महीने प्रकाशित हो रही है और वे इसके प्रचार के लिए देशभर में यात्रा करने की योजना बना रही हैं।विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला सिर्फ सुरक्षा से जुड़ा नहीं है, बल्कि राजनीतिक रणनीति का हिस्सा हो सकता है। कमला हैरिस अमेरिकी राजनीति में डेमोक्रेटिक पार्टी की एक प्रमुख चेहरा बनकर उभर रही हैं, और 2028 के चुनावों में उनका नाम प्रमुख दावेदारों में शामिल हो सकता है।
ट्रंप और बाइडन की टकराहट का नया मोर्चा?
यह घटना अमेरिका में ट्रंप बनाम बाइडन संघर्ष का एक और पहलू बन गई है।बाइडन प्रशासन ने जब सुरक्षा अवधि को बढ़ाया था, तो इसे पूर्व अधिकारियों की गरिमा और सुरक्षा से जोड़कर देखा गया था। लेकिन ट्रंप प्रशासन द्वारा इसे राजनीतिक रूप से प्रभावित कर वापस लेना, साफ तौर पर आने वाले चुनावों से पहले सियासी जंग की तैयारी जैसा लग रहा है।कमला हैरिस की सुरक्षा हटाना सिर्फ एक प्रशासनिक फैसला नहीं, बल्कि अमेरिकी राजनीति की गहराई से जुड़ा मामला बन गया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में कमला हैरिस, बाइडन प्रशासन और डेमोक्रेटिक पार्टी इस फैसले पर क्या रुख अपनाते हैं।क्या यह सुरक्षा हटाना वास्तविक ज़रूरत थी या सिर्फ एक राजनीतिक दांव?आप इस पूरे घटनाक्रम को कैसे देखते हैं?
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