ईरान और इज़रायल के बीच लंबे समय से जारी संघर्ष और तनावपूर्ण हालातों के बीच अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक बयान ने भूचाल ला दिया है। ट्रंप ने हाल ही में दावा किया कि दोनों देशों के बीच सीजफायर यानी युद्धविराम पर सहमति बन गई है। हालांकि, इस बयान की पुष्टि न तो ईरान और न ही इज़रायल की सरकारों ने की है।
डोनाल्ड ट्रंप के इस बयान को लेकर अब भारत में भी सियासत गरमा गई है। कांग्रेस नेता इमरान मसूद ने ट्रंप की आलोचना करते हुए कहा कि “ट्रंप का मानसिक संतुलन अब लड़खड़ा गया है।” उन्होंने ट्रंप के इस दावे को राजनीतिक स्टंट करार दिया, जो अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों को ध्यान में रखते हुए किया गया एक पब्लिसिटी मूव हो सकता है।
ट्रंप पर इमरान मसूद का करारा हमला
इमरान मसूद ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “जब पूरी दुनिया पश्चिम एशिया में शांति की उम्मीद कर रही है, उस समय ट्रंप जैसे जिम्मेदार पद पर रह चुके व्यक्ति का इस तरह का बयान देना अत्यंत गैर-जिम्मेदाराना है। यह जनता को भ्रमित करने और सस्ती लोकप्रियता पाने की कोशिश है।”
उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश के पूर्व राष्ट्रपति से इस तरह की बेतुकी और अपुष्ट टिप्पणी की उम्मीद नहीं की जाती। मसूद का मानना है कि इस तरह के गैर-आधिकारिक बयानों से वैश्विक राजनीति में गलत संकेत जाते हैं और यह संवेदनशील मुद्दों को और भड़का सकते हैं।
सीजफायर की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं
डोनाल्ड ट्रंप के बयान के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी संदेह जताया गया है। जानकारों का कहना है कि जब तक दोनों पक्षों की सरकारें औपचारिक पुष्टि नहीं करतीं, तब तक इसे गंभीरता से नहीं लिया जा सकता।
फिलहाल, न तो ईरानी सरकार और न ही इज़राइली प्रशासन ने इस कथित युद्धविराम पर कोई बयान जारी किया है। ऐसे में यह स्पष्ट है कि ट्रंप का बयान केवल एकतरफा और संभवतः राजनीतिक मंशा से प्रेरित है।
वैश्विक घटनाओं पर भारत में बढ़ती राजनीतिक प्रतिक्रिया
यह मामला केवल अंतरराष्ट्रीय राजनीति तक सीमित नहीं रह गया है। भारत में भी वैश्विक घटनाओं पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं तेज होती जा रही हैं। इससे यह जाहिर होता है कि भारत की आंतरिक राजनीति में अब वैश्विक मुद्दों की भी बड़ी भूमिका बनती जा रही है।
इमरान मसूद की प्रतिक्रिया इस बात का उदाहरण है कि कैसे विदेशी नेताओं की टिप्पणियां भारत में राजनीतिक विमर्श को प्रभावित कर सकती हैं।
क्या इस बयान का चुनावी असर पड़ेगा?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि डोनाल्ड ट्रंप का यह बयान उनके चुनावी एजेंडे का हिस्सा हो सकता है। ट्रंप पहले भी कई बार अपने बयान से मीडिया का ध्यान खींच चुके हैं और यह बयान भी उसी श्रेणी में देखा जा रहा है। हालांकि, इस बार मामला एक अंतरराष्ट्रीय संकट से जुड़ा है और इसलिए इसकी गंभीरता कहीं अधिक है।
संबंधित पोस्ट
Elon Musk की दो बड़ी घोषणाएँ: Vine की वापसी और Tesla Diner का उद्घाटन
ईरानी राजदूत का विवादित बयान, भारत को बताया निष्क्रिय
मस्क और ट्रंप आमने-सामने: क्या बदल रही है अमेरिकी राजनीति?