October 15, 2025

UN जनरल असेंबली में बहस नहीं बहसबाज़ी भारत की चुप्पी पर पाकिस्तान की बौखलाहट क्यों?

संयुक्त राष्ट्र की जनरल असेंबली हमेशा से अंतरराष्ट्रीय मंचों पर शांतिपूर्ण संवाद और वैश्विक मुद्दों के समाधान की जगह मानी जाती रही है। लेकिन इस बार का सत्र ज़रा अलग रहा। यहां बहस कम, और बहसबाज़ी ज़्यादा देखने को मिली। भारत ने अपनी बात सलीके से रखी — बिना नाम लिए। लेकिन पाकिस्तान बिना नाम लिए ही पकड़ा गया।

जयशंकर का बयान बिना नाम के सीधा निशाना

भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपने भाषण में आतंकवाद को लेकर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि आज़ादी के बाद से भारत को जितनी बड़ी चुनौती आतंकवाद के रूप में मिली है, वो उसके पड़ोसी देशों की देन है। उन्होंने किसी देश का नाम नहीं लिया, लेकिन पाकिस्तान को यह बात सीधे अपने ऊपर लग गई।भारत ने गोलियों या जुमलों से हमला नहीं किया, सिर्फ सच्चाई कही। लेकिन पाकिस्तान ने इस बयान को ‘टेरर स्पेशल मेन्शन’ मान लिया और खुद ही कटघरे में कूद पड़ा।

पाकिस्तान की प्रतिक्रिया बौखलाहट में बयानबाज़ी

पाकिस्तान के प्रतिनिधि मोहम्मद राशिद तुरंत माइक पर आ गए। बोले कि भारत उनकी छवि खराब कर रहा है। अब सवाल ये है कि छवि खराब की जा रही है, या पहले से ही खराब है? FATF की वॉचलिस्ट में पहले ही नाम आ चुका है, आतंकी संगठनों को पनाह देने के आरोप पहले से हैं अब भारत की चुप्पी पर इतना तिलमिलाना क्यों?यह वैसा ही है जैसे कोई व्यक्ति बिन बुलाए शादी में आए, खुद ही कुर्सी खींच कर बैठ जाए और फिर शिकायत करे कि उसे क्यों नहीं बुलाया।

भारत का जवाब शांति के साथ सटीक कटाक्ष

भारत के यूएन प्रतिनिधि रेंटला श्रीनिवास ने पलटवार किया हमने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन जिसे लगा कि बात उसी पर है — वो खुद को पहचान गया।यह बयान ना केवल राजनीतिक समझदारी दिखाता है, बल्कि यह भी बताता है कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत अब सॉफ्ट पॉवर के साथ-साथ स्मार्ट पॉवर भी बन गया है।

‘टेररिस्तान’ शब्द और पाकिस्तान की भौंहें

जब बहस में “टेररिस्तान” शब्द आया, तो पाकिस्तान के प्रतिनिधियों के चेहरों पर नाराज़गी साफ दिखी। मोहम्मद राशिद बोले कि भारत हमारा नाम बिगाड़ रहा है। लेकिन भारत ने नाम बिगाड़ा नहीं, दुनिया ने पहले ही पहचान बना दी है और वो भी आतंकवाद के संदर्भ में।

भारत का वॉकआउट — संदेश साफ था

पाकिस्तान की प्रतिक्रिया के बाद भारत ने सभा से वॉकआउट कर दिया। यह एक शांत लेकिन मज़बूत संदेश था अबे तू बोल, हम चलते हैं टाइप। मतलब बहस में फालतू तर्कों का कोई स्थान नहीं।

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