घोटाले की जड़: महार वतन भूमि का अवैध सौदा
महाराष्ट्र की राजनीति में एक और बड़ा भूमि घोटाला सामने आ गया है, जो उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के बेटे पार्थ पवार से जुड़ा हुआ है। पुणे के मुंधवा-कोरेगांव पार्क इलाके में लगभग 40 एकड़ (16.19 हेक्टेयर) कीमती सरकारी जमीन का सौदा विवादों में घिर गया है। यह भूमि मूल रूप से ‘महार वतन भूमि’ है, जो 1958 के बॉम्बे इन्फीरियर विलेज वतन एबोलिशन एक्ट के तहत अनुसूचित जाति (महार समुदाय) के लिए आरक्षित थी। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को बॉटनिकल गार्डन प्रोजेक्ट के लिए आवंटित यह जमीन 2006 में निजी कारोबारी शीतल तिवानी के नाम कैसे दर्ज हुई, यह पहला बड़ा सवाल है। फिर, मई 2025 में यह सौदा पार्थ पवार की कंपनी अमेडिया एंटरप्राइजेज LLP (जिसमें पार्थ की 99% हिस्सेदारी है) को 300 करोड़ रुपये में ट्रांसफर कर दिया गया। बाजार मूल्य 1800 करोड़ रुपये होने के बावजूद स्टांप ड्यूटी मात्र 500 रुपये दिखाई गई, जबकि 5.89 करोड़ रुपये की होनी चाहिए थी। इससे सरकार को सैकड़ों करोड़ का नुकसान हुआ। यह सौदा IT पार्क और डेटा सेंटर के लिए था, लेकिन अब रद्द हो चुका है।
पार्थ पवार की कंपनी: 1 लाख कैपिटल से 1800 करोड़ की डील?
पार्थ पवार, जो NCP नेता हैं और अजीत पवार के बेटे, अमेडिया होल्डिंग्स LLP के डायरेक्टर हैं। कंपनी का शेयर कैपिटल मात्र 1 लाख रुपये है, फिर भी यह विशाल सौदा कैसे संभव हुआ? पार्थ के बिजनेस पार्टनर दिग्विजय अमरसिंह पाटिल (1% हिस्सेदारी) के नाम पर दस्तावेज साइन हुए। 12 फरवरी 2024 से 1 जुलाई 2025 के बीच पुणे के तहसीलदार ने अवैध आदेश जारी कर स्वामित्व का दावा करवाया। स्टांप ड्यूटी विभाग ने अमेडिया को 43 करोड़ रुपये का नोटिस जारी किया है, जिसमें बकाया और जुर्माना शामिल है। पार्थ ने सफाई दी, “मैंने कोई गलत काम नहीं किया।” लेकिन विपक्ष का कहना है कि कंपनी का रजिस्टर्ड एड्रेस पार्थ के पुणे निवास से मेल खाता है, जो संयोग नहीं हो सकता। यह सौदा 27 दिनों में पूरा हुआ, जिसमें उद्योग निदेशालय ने 48 घंटों में स्टांप ड्यूटी माफ की।
FIR और जांच: तीन नाम, पार्थ का नाम गायब
पुणे पुलिस ने बावधान थाने में FIR दर्ज की, जिसमें शीतल तिवानी (पावर ऑफ अटॉर्नी होल्डर), दिग्विजय पाटिल और सस्पेंडेड सब-रजिस्ट्रार रविंद्र तारू के नाम हैं। आरोप: स्टांप ड्यूटी चोरी, धोखाधड़ी और साजिश। लेकिन पार्थ का नाम क्यों नहीं? अजीत पवार ने कहा, “FIR केवल साइन करने वालों पर होती है। पार्थ ने साइन नहीं किया।” CM देवेंद्र फडणवीस ने EOW (इकोनॉमिक ऑफेंस विंग) को जांच सौंपी और कहा, “कोई बख्शा नहीं जाएगा।” रेवेन्यू विभाग और IGR (इंस्पेक्टर जनरल ऑफ रजिस्ट्रेशन) की अंतरिम रिपोर्ट में अनियमितताओं का जिक्र है। उच्चस्तरीय समिति एक महीने में रिपोर्ट देगी। दूसरी FIR बोपोदी की 13 एकड़ कृषि विभाग की जमीन पर भी दिग्विजय के खिलाफ है। विपक्ष ने इसे ‘कवर-अप’ बताया।
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अजीत पवार का बचाव: ‘सौदा रद्द, कोई पैसा नहीं बदला’
उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने दावा किया, “सौदा रद्द हो चुका है, एक पैसा भी नहीं बदला। पार्थ और दिग्विजय को जमीन सरकारी होने की जानकारी नहीं थी।” उन्होंने CM फडणवीस से बात कर निष्पक्ष जांच की मांग की और कहा, “मैं नियम तोड़ने वालों को बख्शूंगा नहीं, चाहे परिवार ही क्यों न हो।” अजीत ने इसे ‘परिवार का मामला’ बताते हुए खुद को अलग रखा। लेकिन विपक्ष ने सवाल उठाया, “पिता उपमुख्यमंत्री हैं, बेटा निर्दोष कैसे?” पार्थ के पिछले विवादों का जिक्र भी हो रहा है, जैसे 2020 में पुणे गैंगस्टर गजानन मार्ने से मिलना और सुशांत सिंह राजपूत केस में CBI पूछताछ। अजीत ने तब भी सफाई दी थी।
विपक्ष का हल्ला: इस्तीफे की मांग, महायुति पर सवाल
कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने अजीत पवार का इस्तीफा मांगा और पार्थ पर क्रिमिनल केस की मांग की। शिवसेना (UBT) के अम्बादास दानवे ने कहा, “1 लाख कैपिटल वाली कंपनी 1800 करोड़ की जमीन कैसे खरीदेगी?” NCP (शरद पवार गुट) ने इसे ‘भूमि चोरी’ बताया और दलित आरक्षण का उल्लंघन कहा। विपक्ष का आरोप: महायुति सरकार (BJP-NCP-शिवसेना) पार्थ को बचा रही है। फडणवीस के बचाव पर सवाल उठे। यह घोटाला पुणे नगर निगम चुनावों से पहले आया, जहां NCP-BJP की प्रतिस्पर्धा तेज है। विपक्ष इसे वोट बैंक के लिए इस्तेमाल कर सकता है।

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