August 29, 2025

फतेहपुर में मकबरे को मंदिर बताने का विवाद: हंगामा, तोड़फोड़ और सियासी बवाल

उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में मकबरे को मंदिर बताने को लेकर शुरू हुआ विवाद अब बड़े बवाल का रूप ले चुका है। भाजपा नेताओं और हिंदूवादी संगठनों के आह्वान पर सैकड़ों लोग एकत्र हुए और मकबरे पर तोड़फोड़ की कोशिश की। इस घटना ने न केवल स्थानीय स्तर पर तनाव पैदा किया, बल्कि सियासी गलियारों में भी हलचल मचा दी है। पुलिस ने इस मामले में कई लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है, जिसमें भाजपा, बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं के साथ-साथ समाजवादी पार्टी (सपा) से जुड़े एक नेता का नाम भी शामिल है।

एफआईआर और सपा नेता का निष्कासन

फतेहपुर पुलिस ने इस बवाल में शामिल उपद्रवियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए दर्जनों लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। इनमें पुष्पराज पटेल, प्रसून तिवारी, धर्मेंद्र सिंह, अभिषेक शुक्ला, आशीष त्रिवेदी, ऋतिक पाल, विनय तिवारी, अजय सिंह उर्फ रिंकू लोहारी और देवनाथ धाकड़े जैसे नाम शामिल हैं। खास बात यह है कि सपा के नेता पप्पू सिंह चौहान का नाम भी इस सूची में है, जिन्हें इस घटना में शामिल होने का आरोप है। सपा जिलाध्यक्ष सुरेंद्र प्रताप सिंह ने पप्पू सिंह चौहान को पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त होने के कारण तत्काल प्रभाव से निष्कासित कर दिया। निष्कासन पत्र में उनका पता रहिमालन का पुरवा गांव, पोस्ट जमरावां, हुसैनगंज विधानसभा, फतेहपुर बताया गया है।

सियासी आरोप-प्रत्यारोप

इस घटना ने सियासी रंग भी ले लिया है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भाजपा पर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाएं सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने की साजिश का हिस्सा हैं। दूसरी ओर, भाजपा के जिलाध्यक्ष मुखलाल पाल ने दावा किया कि उनकी अगुवाई में मकबरे के स्थान पर पूजा की गई, क्योंकि उनका मानना है कि यह स्थान वास्तव में एक मंदिर है। हिंदू महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष मनोज त्रिवेदी ने भी इसे “ठाकुर जी का मंदिर” बताते हुए पूजा में हिस्सा लेने की बात कही। हैरानी की बात यह है कि इन दोनों नेताओं के नाम एफआईआर में शामिल नहीं हैं।

सामाजिक और कानूनी प्रभाव

इस घटना ने स्थानीय समुदाय में तनाव को बढ़ा दिया है। मकबरे को मंदिर बताने का दावा और उस पर की गई तोड़फोड़ की कोशिश ने सामाजिक सौहार्द पर सवाल खड़े किए हैं। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए त्वरित कार्रवाई की और उपद्रवियों के खिलाफ कानूनी कदम उठाए। हालांकि, यह विवाद अभी थमने का नाम नहीं ले रहा है, क्योंकि सियासी दल इसे अपने-अपने तरीके से भुनाने की कोशिश कर रहे हैं।

आगे की राह

फतेहपुर का यह विवाद न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया है। यह घटना सामाजिक एकता और धार्मिक सहिष्णुता के महत्व को रेखांकित करती है। पुलिस और प्रशासन के सामने अब चुनौती है कि वे इस मामले में निष्पक्ष कार्रवाई करें और समाज में शांति बनाए रखें। साथ ही, सियासी दलों को भी इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने से बचना चाहिए, ताकि सामाजिक सौहार्द बरकरार रहे।

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