ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाकिस्तान की वैश्विक कूटनीतिक जंग

ऑपरेशन सिंदूर की ऐतिहासिक सफलता के बाद भारत ने वैश्विक मंच पर पाकिस्तान के आतंकवाद प्रायोजन को उजागर करने के लिए एक मजबूत कूटनीतिक अभियान शुरू किया है। इसके जवाब में पाकिस्तान ने भी अपनी वैश्विक छवि को बेहतर करने के लिए कदम उठाए हैं। दोनों देशों के बीच यह कूटनीतिक जंग अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर नई शक्ल ले रही है।

भारत का कूटनीतिक दांव: 40 सांसदों की टीम

भारत सरकार ने सभी राजनीतिक दलों को मिलाकर 40 सांसदों की एक मजबूत टीम गठित की है, जिसे सात अलग-अलग डेलिगेशन में बांटा गया है। ये सांसद विश्व के प्रमुख देशों में जाकर ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और पाकिस्तान के आतंकवाद समर्थन को उजागर करेंगे। इस अभियान का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह दिखाना है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में कितना दृढ़ और प्रभावी है।

इस डेलिगेशन में कांग्रेस सांसद शशि थरूर और एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले जैसे वरिष्ठ नेता शामिल हैं। शशि थरूर अमेरिका, पनामा, गुयाना, ब्राजील और कोलंबिया की यात्रा करेंगे, जहां वे ऑपरेशन सिंदूर के महत्व और भारत की नीतियों को सामने रखेंगे। वहीं, सुप्रिया सुले मिस्र, कतर, इथियोपिया और दक्षिण अफ्रीका का दौरा करेंगी। अन्य प्रमुख नेताओं में डीएमके की कनिमोझी करुणानिधि, जेडीयू के संजय कुमार झा, बीजेपी के रविशंकर प्रसाद और बैजयंत पांडा, साथ ही शिवसेना के श्रीकांत शिंदे शामिल हैं। ये नेता वैश्विक मंचों पर भारत का पक्ष मजबूती से प्रस्तुत करेंगे।

पाकिस्तान की जवाबी रणनीति: बिलावल भुट्टो का नेतृत्व

भारत की इस कूटनीतिक पहल का जवाब देने के लिए पाकिस्तान ने भी अपनी रणनीति तैयार की है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने 17 मई, 2025 को पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष और पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो-जरदारी को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर देश का प्रतिनिधित्व करने की जिम्मेदारी सौंपी। बिलावल के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया है, जिसमें पूर्व मंत्री खुर्रम दस्तगीर खान, हिना रब्बानी खार और पूर्व विदेश सचिव जलील अब्बास जिलानी शामिल हैं।

बिलावल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने मुझे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर शांति के लिए पाकिस्तान का पक्ष रखने के लिए प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने को कहा। मैं इस जिम्मेदारी के लिए सम्मानित महसूस कर रहा हूं।” पाकिस्तान का यह कदम भारत की कूटनीतिक रणनीति की नकल माना जा रहा है, जिसका मकसद अपनी छवि को बेहतर करना और भारत के आरोपों का जवाब देना है।

वैश्विक मंच पर भारत-पाकिस्तान की टक्कर

यह कूटनीतिक जंग अब वैश्विक मंचों पर दोनों देशों के बीच एक नई प्रतिस्पर्धा को जन्म दे रही है। भारत का लक्ष्य ऑपरेशन सिंदूर की सफलता को विश्व के सामने रखकर पाकिस्तान के आतंकवाद समर्थन को बेनकाब करना है। दूसरी ओर, पाकिस्तान बिलावल भुट्टो के नेतृत्व में अपनी छवि को “शांति समर्थक” देश के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहा है।

भारत की रणनीति में अनुभवी और प्रभावशाली नेताओं का चयन इस बात का संकेत है कि वह इस अभियान को लेकर कितना गंभीर है। शशि थरूर जैसे नेता, जो अपनी वाकपटुता और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रभाव के लिए जाने जाते हैं, इस अभियान को और मजबूती प्रदान करेंगे। वहीं, सुप्रिया सुले और अन्य नेताओं का विभिन्न महाद्वीपों में दौरा भारत के संदेश को व्यापक बनाने में मदद करेगा।

आने वाला समय और चुनौतियां

यह कूटनीतिक अभियान दोनों देशों के लिए कई चुनौतियां लेकर आया है। भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि उसका संदेश अंतरराष्ट्रीय समुदाय तक प्रभावी ढंग से पहुंचे और पाकिस्तान के जवाबी प्रचार को कमजोर करे। दूसरी ओर, पाकिस्तान के लिए चुनौती है कि वह अपनी विश्वसनीयता को स्थापित करे, खासकर तब जब कई देश पहले से ही उसके आतंकवाद समर्थन पर सवाल उठाते रहे हैं।

कुल मिलाकर, ऑपरेशन सिंदूर के बाद शुरू हुई यह कूटनीतिक जंग भारत और पाकिस्तान के बीच वैश्विक मंच पर एक नई कहानी लिख रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि दोनों देश अपने-अपने लक्ष्यों को हासिल करने में कितने सफल होते हैं।

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