मुंबई की पहली भूमिगत मेट्रो सेवा को शुरू हुए अभी 17 दिन ही हुए हैं, और शहरवासियों का उत्साह पानी में बह गया — वह भी सच literal sense में। सोमवार को मूसलधार बारिश के बीच आचार्य अत्रे चौक स्टेशन से लेकर कई भूमिगत मेट्रो स्टेशनों में बाढ़ जैसा मंजर दिखा। स्टेशन की सीढ़ियों से झरने की तरह बहता पानी, फिसलते यात्री और बंद पड़ी ट्रेनें… ये वो तस्वीरें थीं जिन्हें देखकर सिर्फ एक सवाल उठता है — ऐसी इंजीनियरिंग किस काम की?
कंस्ट्रक्शन किसने किया?
इन स्टेशनों का निर्माण तुर्की की कंपनी डोगस और भारतीय कंपनी सोमा के कंसोर्टियम ने मिलकर किया है। अब इस निर्माण की गुणवत्ता पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं।
ठाकरे का तीखा हमला
शिवसेना (यूबीटी) विधायक आदित्य ठाकरे ने महाराष्ट्र सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए सवाल किया तुर्की की कंपनी डोगस के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हो रही? सेलेबी एयरपोर्ट सर्विस को तो निलंबित किया गया था तो डोगस पर मेहरबानी क्यों? आदित्य ने ये भी कहा कि यह सिर्फ एक निर्माण की गड़बड़ी नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है।
पानी में डूबा विकास
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीरों में देखा जा सकता है कि स्टेशन की सीढ़ियों से तेज़ी से बहता पानी यात्री बाढ़ जैसी स्थिति से जूझते हुए सिस्टम फेल और सेवाएं बाधित
बीएमआरडीए ने फिलहाल जांच के आदेश दिए हैं, लेकिन शहरवासियों का भरोसा अब डगमगा रहा है। मेट्रो को विकास का प्रतीक माना गया, लेकिन अगर 17 दिन में ही पानी घुस जाए तो यह किसका विकास है? स्थानीय निवासी
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