कंगना रनौत ने शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ्तारी को बताया उत्पीड़न

बीजेपी सांसद और अभिनेत्री कंगना रनौत ने पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा इंस्टाग्राम इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ्तारी को उत्पीड़न करार देते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सरकार से अपील की है कि वे राज्य को “नॉर्थ कोरिया” जैसा न बनाएं। शर्मिष्ठा को कथित तौर पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली टिप्पणियों के लिए हरियाणा के गुरुग्राम से गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में कई राजनेताओं ने शर्मिष्ठा के समर्थन में आवाज उठाई है।

गिरफ्तारी का विवरण

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कोलकाता पुलिस ने शुक्रवार देर रात शर्मिष्ठा पनोली को गुरुग्राम से गिरफ्तार किया। उन पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली साम्प्रदायिक टिप्पणियों का आरोप है। शनिवार को उन्हें कोलकाता लाया गया और 13 जून तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। शर्मिष्ठा ने अपनी टिप्पणियों के लिए माफी मांग ली थी और संबंधित पोस्ट हटा दी थी, फिर भी पुलिस ने उनके खिलाफ कार्रवाई की।

कंगना रनौत का बयान

कंगना रनौत ने इस गिरफ्तारी को अन्यायपूर्ण बताते हुए कहा, “किसी ने माफी मांग ली और पोस्ट हटा लिया, फिर भी उसे जेल में डालना, प्रताड़ित करना, उसका करियर खत्म करना और चरित्र पर सवाल उठाना बहुत गलत है। किसी बेटी के साथ ऐसा नहीं होना चाहिए।” उन्होंने आगे कहा, “सबको लोकतांत्रिक अधिकार हैं। शर्मिष्ठा ने अपनी आपत्तिजनक टिप्पणियों के लिए माफी मांगी है। आज की पीढ़ी ऐसी भाषा का इस्तेमाल सामान्य रूप से करती है। उसे जल्द रिहा करना चाहिए, क्योंकि वह बहुत युवा है और उसका पूरा करियर और जीवन सामने है।” कंगना ने ममता बनर्जी सरकार से आग्रह किया कि वे पश्चिम बंगाल को नॉर्थ कोरिया जैसा न बनाएं, जहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाया जाता है।

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अन्य नेताओं का समर्थन

शर्मिष्ठा के समर्थन में कई राजनेताओं ने आवाज उठाई है। आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण ने पश्चिम बंगाल पुलिस से निष्पक्ष कार्रवाई की अपील की। उन्होंने कहा, “ईशनिंदा की हमेशा निंदा होनी चाहिए, लेकिन सेकुलरिज्म कुछ के लिए ढाल और दूसरों के लिए तलवार नहीं हो सकता। यह दोतरफा होना चाहिए।” पवन कल्याण ने पुलिस से निष्पक्षता बरतने की मांग की। वहीं, पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता और बीजेपी नेता सुवेंदू अधिकारी ने टीएमसी सरकार पर केवल “सनातनियों” के खिलाफ कार्रवाई करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यह पक्षपातपूर्ण रवैया लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है।

मामले का सामाजिक प्रभाव

शर्मिष्ठा की गिरफ्तारी ने सोशल मीडिया पर व्यापक चर्चा छेड़ दी है। कई लोग इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला मान रहे हैं, जबकि कुछ का कहना है कि धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली टिप्पणियां गंभीर अपराध हैं। इस मामले ने पश्चिम बंगाल की कानून व्यवस्था और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सवाल उठाए हैं। कंगना और अन्य नेताओं के बयानों ने इस मामले को और तूल दे दिया है।

आगे की राह

शर्मिष्ठा की रिहाई को लेकर उनके समर्थक और कई संगठन आवाज उठा रहे हैं। इस मामले में कोर्ट के अगले फैसले पर सबकी नजरें टिकी हैं। यह मामला न केवल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बल्कि सोशल मीडिया के उपयोग और उसकी सीमाओं पर भी बहस को जन्म दे रहा है। क्या शर्मिष्ठा को जल्द रिहा किया जाएगा, या यह मामला और लंबा खिंचेगा, यह देखना बाकी है।

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