प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मीठी नदी पुनर्विकास परियोजना से जुड़े एक मनी लॉन्ड्रिंग केस में एक बड़ा कदम उठाते हुए बॉलीवुड अभिनेता डिनो मोरिया के आवास पर छापा मारा है। यह कार्रवाई मुंबई और आसपास के 15 अन्य ठिकानों पर भी की गई। इस ऑपरेशन का उद्देश्य परियोजना में हुई आर्थिक अनियमितताओं और कथित धन शोधन (money laundering) की जांच करना है।
सूत्रों के अनुसार, ED को संदेह है कि मीठी नदी परियोजना में सरकारी फंड का दुरुपयोग हुआ और करोड़ों रुपये अवैध रूप से निजी खातों में ट्रांसफर किए गए। डिनो मोरिया का नाम इस केस में एक “संबंधित पार्टी” के रूप में सामने आया है, हालांकि अभी तक उनकी कोई औपचारिक गिरफ्तारी नहीं हुई है।
मीठी नदी परियोजना और विवाद की जड़ें
मीठी नदी पुनर्विकास योजना का उद्देश्य मुंबई में बाढ़ की समस्या को कम करना और नदी की साफ-सफाई व चौड़ीकरण करना था। इस योजना के लिए सरकार ने करोड़ों रुपये आवंटित किए थे। लेकिन अब यह परियोजना कथित भ्रष्टाचार, ठेकेदारी गड़बड़ी और धनशोधन के आरोपों के चलते सुर्खियों में आ गई है।
जांच एजेंसियों का कहना है कि कुछ कंपनियों ने फर्जी बिलिंग और ओवर इनवॉइसिंग के जरिए सरकारी पैसे को हड़प लिया। ED इस बात की भी जांच कर रही है कि क्या इन फंड्स का उपयोग रियल एस्टेट या फिल्म इंडस्ट्री में निवेश के लिए किया गया।
बॉलीवुड से जुड़ रहा है मामला?
इस पूरे मामले में डिनो मोरिया का नाम सामने आना बॉलीवुड और मनी लॉन्ड्रिंग के रिश्तों पर फिर से सवाल खड़े करता है। इससे पहले भी फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े कई नाम ED और अन्य जांच एजेंसियों के रडार पर आ चुके हैं। डिनो मोरिया ने अभी तक इस मामले में कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि वह जांच में सहयोग कर रहे हैं।
ED की जांच अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि डिनो मोरिया की भूमिका केवल एक निवेशक की थी या वे इस कथित घोटाले का हिस्सा भी थे। मीठी नदी घोटाले की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, इसमें बड़े नाम और गहरे वित्तीय संबंध उजागर हो सकते हैं। डिनो मोरिया और अन्य संबंधित व्यक्तियों से पूछताछ के बाद आने वाले दिनों में यह मामला और भी गंभीर रूप ले सकता है।
संबंधित पोस्ट
कोलकाता गैंगरेप केस: महुआ मोइत्रा ने टीएमसी नेताओं को लगाई फटकार
CM मोहन यादव के मंच पर केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक को अपमान का सामना
उपराष्ट्रपति धनखड़ का बयान: संविधान की प्रस्तावना में बदलाव पर उठे सवाल