बिहार चुनाव 2025: 100% वेबकास्टिंग से पारदर्शिता की नई मिसाल

बिहार विधानसभा चुनाव में 100% मतदान केंद्रों पर वेबकास्टिंग अनिवार्य की गई है। यह कदम पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने की दिशा में ऐतिहासिक माना जा रहा है।

बिहार चुनाव में वेबकास्टिंग का ऐतिहासिक कदम

2025 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग (Election Commission of India) ने एक अभूतपूर्व निर्णय लिया है — अब राज्य के सभी मतदान केंद्रों पर वेबकास्टिंग अनिवार्य होगी। यह पहली बार होगा जब किसी राज्य में 100% पोलिंग बूथ पर लाइव वीडियो निगरानी की व्यवस्था की जाएगी। इससे चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ेगी और गड़बड़ियों पर तुरंत नज़र रखी जा सकेगी।

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पारदर्शिता के लिए क्यों जरूरी है वेबकास्टिंग?

अब तक केवल संवेदनशील या चुनिंदा मतदान केंद्रों पर ही वेबकास्टिंग होती थी, लेकिन अब ECI ने हर पोलिंग बूथ को इसके दायरे में लाया है।

  • इंटरनेट वाले इलाकों में सीधी लाइव वेबकास्टिंग होगी।
  • इंटरनेट न होने की स्थिति में वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी की वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी।
  • राज्य, जिला और विधानसभा स्तर पर नियंत्रण कक्ष स्थापित किए जाएंगे, जो चुनाव की निगरानी करेंगे।
  • प्रत्येक स्तर पर एक नोडल अधिकारी तैनात रहेगा।

राहुल गांधी के आरोपों के बाद बड़ा फैसला

इस फैसले की टाइमिंग भी महत्वपूर्ण है। हाल ही में राहुल गांधी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में गड़बड़ी का आरोप लगाया था। उन्होंने CCTV फुटेज सार्वजनिक करने की मांग करते हुए दावा किया कि चुनाव ‘मैच-फिक्सिंग’ के तहत जीते गए। इन आरोपों के बाद चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठे, और पारदर्शिता को लेकर दबाव बढ़ा। माना जा रहा है कि 100% वेबकास्टिंग का निर्णय इसी दबाव का परिणाम है।

क्या यह डेटा जनता के लिए होगा?

ECI ने स्पष्ट किया है कि वेबकास्टिंग डेटा सिर्फ आंतरिक जांच के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। इसे सार्वजनिक नहीं किया जाएगा।
2023 में नियमों में संशोधन कर यह तय किया गया था कि वेबकास्टिंग और CCTV फुटेज को आम जनता के लिए उपलब्ध नहीं कराया जाएगा, ताकि इसके दुरुपयोग से बचा जा सके। हालांकि, यदि किसी गड़बड़ी की जांच की ज़रूरत पड़ी, तो आयोग इसका विश्लेषण कर सकता है।

क्या यह वाकई बदलाव लाएगा?

बिहार में वेबकास्टिंग का यह कदम देश में चुनावी प्रक्रिया के लिए एक मिसाल बन सकता है।

  • इससे न सिर्फ चुनाव पारदर्शी होंगे,
  • बल्कि मतदाताओं का भरोसा भी बढ़ेगा,
  • और भविष्य में अन्य राज्यों को भी इसी राह पर चलने की प्रेरणा मिलेगी।

अब सभी की निगाहें इस बात पर हैं कि क्या यह प्रणाली सही ढंग से लागू होती है, और क्या इससे लोकतंत्र और मजबूत होगा

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