भारत विरोधी छवि वाले जहीरुल आलम को बांग्लादेश का डिप्टी एनएसए बनाया जा सकता है

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में एक संवेदनशील और विवादास्पद नियुक्ति की चर्चा जोरों पर है। लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) अबु तैयब मोहम्मद जहीरुल आलम को उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (Deputy NSA) बनाए जाने की संभावना जताई जा रही है। इस खबर ने बांग्लादेश ही नहीं, बल्कि भारत में भी खलबली मचा दी है, क्योंकि जहीरुल आलम पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) से संबंध रखने और भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के गंभीर आरोप हैं।

पाकिस्तान से जुड़ाव और भारत विरोधी गतिविधियों के आरोप

जहीरुल आलम का नाम बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के भाई, सईद इस्कंदर, से भी जुड़ा रहा है। इस्कंदर पर भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों—विशेष रूप से मिजोरम और असम—में उग्रवादियों को हथियार और प्रशिक्षण मुहैया कराने का आरोप लग चुका है। वे इस्लामिक टेलीविजन के भी संस्थापक अध्यक्ष थे और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के एक प्रभावशाली नेता थे। उनका भारत विरोधी रुख किसी से छिपा नहीं रहा।

जहीरुल आलम, सईद इस्कंदर के करीबी माने जाते हैं और बांग्लादेश के नेशनल डिफेंस कॉलेज के कमांडेंट रहते हुए उन्होंने पाकिस्तान के सैन्य अधिकारियों को कॉलेज में आमंत्रित करने की अनुमति दी थी। यह घटना भारत के लिए एक बड़ा कूटनीतिक संकेत था, जिसे हल्के में नहीं लिया गया।

यह भी पढ़ें : हेडिंग्ले टेस्ट: भारत की जोरदार वापसी, ब्रूक-सिराज के बीच हुई तीखी नोकझोंक

मो. यूनुस की सरकार पर सवाल

जहीरुल आलम की संभावित नियुक्ति अंतरिम प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस की राजनीतिक सोच पर भी सवाल उठाती है। यूनुस सरकार में कई ऐसे नाम शामिल हैं, जिनकी छवि पाकिस्तान समर्थक रही है। आलम के बैचमेट जहांगीर आलम पहले से ही गृह सलाहकार के रूप में कार्यरत हैं। वे भी 2001-2006 के बीच BNP सरकार में सीमा सुरक्षा बल के प्रमुख रह चुके हैं और उन पर भी पाकिस्तान से साठगांठ के आरोप लग चुके हैं।

जहीरुल आलम का यूनुस से व्यक्तिगत संबंध भी इस नियुक्ति के पीछे एक कारण माना जा रहा है। दोनों का संबंध चटगांव से है, जो यूनुस का गृह नगर है। इससे उनकी निकटता और बढ़ जाती है।

भारत-बांग्लादेश संबंधों पर संभावित असर

ढाका के कूटनीतिक विश्लेषकों और रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह नियुक्ति होती है तो भारत और बांग्लादेश के रिश्तों पर इसका सीधा असर पड़ेगा। खासकर ऐसे समय में जब भारत और बांग्लादेश आतंकवाद और सीमा सुरक्षा जैसे अहम मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने की दिशा में काम कर रहे हैं।

विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि जहीरुल आलम की नियुक्ति एक “विवादस्पद संकेत” होगा, जिससे बांग्लादेश की सुरक्षा नीति पर भी सवाल उठ सकते हैं।

Share