प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ईरान के नए राष्ट्रपति मसूद पेज़ेश्कियन से फोन पर बात की और अमेरिका-ईरान के बीच बढ़ते तनाव को कम करने की अपील की। मोदी ने 45 मिनट की बातचीत में स्पष्ट तौर पर कहा कि संवाद और कूटनीति ही वर्तमान संकट का एकमात्र समाधान है।
यह फोन कॉल ऐसे समय में हुआ, जब अमेरिका ने ईरान की तीन प्रमुख परमाणु साइट्स – फोर्डो, नतांज़ और इस्फहान – पर हमला किया। B2 स्टेल्थ बॉम्बर्स और टॉमहॉक मिसाइलों से हुए इस हमले को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने “एक बड़ी सैन्य सफलता” बताया। उनका दावा है कि इससे ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं को तगड़ा झटका लगा है।
क्या तीसरे विश्व युद्ध की शुरुआत?
इस हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय राजनीति में खलबली मच गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह हमला मध्य-पूर्व को एक नई जंग की आग में झोंक सकता है। भारत के पड़ोसी पाकिस्तान ने इस कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हुए चेतावनी दी है कि यह कदम क्षेत्रीय अस्थिरता को और बढ़ा सकता है।
ईरान ने भी अमेरिका पर सीधी जंग छेड़ने का आरोप लगाया है और अपने सभी प्रमुख शहरों में एयर डिफेंस सिस्टम को हाई अलर्ट पर रखा है। साथ ही, सीमाओं पर अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती की गई है।
भारत की संतुलित कूटनीति
ऐसे माहौल में भारत का रुख सबसे ज़्यादा संतुलित दिखाई दे रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शांति, सुरक्षा और स्थिरता को बहाल करने की अपील की है। उन्होंने साफ कहा कि भारत, युद्ध नहीं—शांति का पक्षधर है।
भारत की ये नीति सिर्फ कूटनीतिक नहीं, बल्कि मानवीय दृष्टिकोण से भी प्रेरित है। मोदी सरकार का मानना है कि युद्ध कभी समाधान नहीं होता, और सभी पक्षों को एक टेबल पर बैठकर हल निकालना चाहिए।
ईरान की तरफ से सकारात्मक प्रतिक्रिया
ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेज़ेश्कियन ने भारत को “मित्र और साझेदार” बताते हुए इस पहल का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि भारत की यह भूमिका वैश्विक स्थिरता के लिए प्रेरणादायक है। उन्होंने भरोसा जताया कि भारत जैसे देशों के प्रयासों से एक बड़ा युद्ध टल सकता है।
अमेरिका की चुप्पी और ट्रंप की बयानबाज़ी
हालांकि अमेरिका ने इस हमले को टारगेटेड स्ट्राइक बताया है, लेकिन इससे जुड़ी संवेदनशील जानकारियों को साझा नहीं किया गया है। डोनाल्ड ट्रंप ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर सिर्फ इतना लिखा—
“अब शांति का समय है। कोई सेना ऐसा नहीं कर सकती थी।”
इस बयान को कई विश्लेषकों ने राजनीतिक प्रचार करार दिया है, क्योंकि यह सीधे राष्ट्रपति चुनावों से पहले ट्रंप की मजबूत नेता की छवि को बढ़ाने की कोशिश लग रही है।
भारत की अगली रणनीति?
भारत के लिए अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या वह इस शांति संदेश को संयुक्त राष्ट्र (UN), G20, BRICS, और FATF जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आगे ले जाएगा?
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को चाहिए कि वह इस मुद्दे को वैश्विक शांति और सुरक्षा के नजरिए से उठाए और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में इस पर एक असाधारण बैठक बुलाने की अपील करे।
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