IndiGo जातिवाद विवाद: दलित पायलट से ‘जूते सिलने’ की टिप्पणी, देशभर में आक्रोश

भारत की अग्रणी निजी विमानन कंपनी IndiGo एक बार फिर सुर्खियों में है — इस बार वजह है एक बेहद गंभीर और चिंताजनक आरोप। कंपनी के एक दलित ट्रेनी पायलट ने जातिसूचक गालियों और अपमानजनक व्यवहार का आरोप लगाया है। इस आरोप ने न सिर्फ एविएशन इंडस्ट्री बल्कि पूरे देश को हिलाकर रख दिया है।

यह मामला सिर्फ एक कर्मचारी के उत्पीड़न का नहीं, बल्कि उस सोच का प्रतीक है जो आज भी जातीय भेदभाव को ज़िंदा रखे हुए है।

क्या है पूरा मामला?

दिल्ली में रहने वाले 35 वर्षीय एक ट्रेनी पायलट, जो अनुसूचित जाति (SC) समुदाय से आते हैं, ने आरोप लगाया कि इंडिगो के वरिष्ठ अधिकारियों ने उन्हें जातिसूचक गालियां दीं और उन्हें यह तक कह दिया कि “तुम प्लेन उड़ाने के लायक नहीं, जाकर जूते सीलना चाहिए।”

पीड़ित पायलट ने इस घटनाक्रम की शिकायत दिल्ली पुलिस में दर्ज कराई, जिसके बाद तपस डे, मनीष साहनी और कैप्टन राहुल पाटिल नामक तीन अधिकारियों के खिलाफ अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत FIR दर्ज की गई है।

SC/ST एक्ट के तहत दर्ज हुआ मामला

SC/ST अत्याचार निवारण अधिनियम भारत के सबसे सख्त कानूनों में से एक है, जिसे अनुसूचित जाति और जनजातियों के खिलाफ किसी भी तरह के अपमान, भेदभाव और उत्पीड़न को रोकने के लिए बनाया गया है। इस मामले में दर्ज एफआईआर को बेहद गंभीर माना जा रहा है, क्योंकि यह प्रतिष्ठित कॉरपोरेट सेटअप में जातिवाद की मौजूदगी को उजागर करता है।

IndiGo का जवाब और जांच की बात

IndiGo एयरलाइन ने इस पूरे प्रकरण पर बयान जारी कर कहा है कि यह आरोप निराधार हैं और कंपनी इसकी आंतरिक जांच कर रही है। हालांकि अभी तक कोई विस्तृत रिपोर्ट या कार्रवाई की जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है।

सोशल मीडिया पर उबाल

इस मामले के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है। कई दलित संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस घटना की निंदा की है और कड़ी कार्रवाई की मांग की है। ट्विटर, इंस्टाग्राम और फेसबुक पर #IndiGoCasteism जैसे ट्रेंड्स देखने को मिल रहे हैं।

एविएशन सेक्टर में ‘साइलेंट कास्टिज्म’?

यह कोई पहला मामला नहीं है जब कॉरपोरेट या प्रोफेशनल सेक्टर में जातिगत भेदभाव की बात सामने आई हो। विशेषज्ञों का मानना है कि एविएशन सेक्टर में जातिवाद एक “साइलेंट प्रैक्टिस” की तरह मौजूद है, जहां लोग खुलकर विरोध नहीं कर पाते लेकिन उनके साथ पक्षपात और अपमानजनक व्यवहार किया जाता है।

यह सिर्फ एक केस नहीं, बल्कि एक सामाजिक आईना

यह घटना हमारे देश की उस मानसिकता को दर्शाती है जो आज भी जाति के आधार पर भेदभाव को उचित ठहराने की कोशिश करती है। जब एक पढ़ा-लिखा, काबिल दलित युवक भी प्लेन उड़ाने की ट्रेनिंग ले रहा हो और उसे उसकी जाति के नाम पर नीचा दिखाया जाए, तो यह सिर्फ एक व्यक्ति का अपमान नहीं — पूरे समाज और संविधान की गरिमा का सवाल है।

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