मुंबई की शर्मनाक हकीकत: कैंसर पीड़िता बुज़ुर्ग महिला को कचरे के ढेर पर छोड़ गया पोता

मुंबई जैसे महानगर से ऐसी खबर सामने आई है जिसने हर संवेदनशील इंसान को झकझोर कर रख दिया है। आरे कॉलोनी में शनिवार सुबह एक बुज़ुर्ग महिला – जो एडवांस स्टेज के स्किन कैंसर से पीड़ित थी – कचरे के ढेर पर बेसुध हालत में मिलीं। इस महिला की पहचान यशोदा गायकवाड़ (60 वर्ष) के रूप में हुई है। इस खबर ने न केवल मुंबई बल्कि पूरे देश को इंसानियत पर सोचने के लिए मजबूर कर दिया है।

पुलिस को महिला ने बताया – “मुझे मेरे पोते ने यहां फेंक दिया”

महिला की हालत बेहद गंभीर थी। उनके चेहरे पर एक गहरा घाव और संक्रमण साफ नजर आ रहा था। जब मुंबई पुलिस मौके पर पहुंची तो उन्होंने खुद बताया कि उन्हें उनके पोते ने मलाड में उनके घर से लाकर कचरे के ढेर पर छोड़ दिया। ये सुनकर पुलिसकर्मी भी स्तब्ध रह गए।

8 घंटे तक अस्पताल दर अस्पताल भटकती रही पुलिस

आरे कॉलोनी से महिला को सबसे पहले जोगेश्वरी ट्रॉमा सेंटर ले जाया गया, लेकिन वहां से उन्हें यह कहकर लौटा दिया गया कि पर्याप्त सुविधा नहीं है। इसके बाद कूपर हॉस्पिटल ले जाया गया, लेकिन वहां भी उन्हें एडमिट नहीं किया गया। अंततः जब सीनियर इंस्पेक्टर रविंद्र पाटिल ने व्यक्तिगत दखल दिया, तब जाकर शाम 5:30 बजे उन्हें भर्ती किया गया।

डॉक्टरों का बयान: एडवांस स्टेज कैंसर है

डॉक्टरों के अनुसार, यशोदा गायकवाड़ को बेसल सेल कार्सिनोमा नामक त्वचा कैंसर है। चेहरे पर ulceroproliferative growth देखने को मिली है। उनकी हालत फिलहाल स्थिर है लेकिन इलाज की ज़रूरत है।

पोते की पहचान की कोशिश जारी, कोई रिश्तेदार सामने नहीं आया

पुलिस ने महिला की तस्वीरें मलाड, कांदिवली सहित आसपास के सभी थानों में भेजी हैं और CCTV फुटेज खंगाले जा रहे हैं। लेकिन अब तक कोई रिश्तेदार उन्हें लेने या पहचानने नहीं आया है।

क्या हम इंसानियत खो चुके हैं?

यशोदा गायकवाड़ की कहानी सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं है – यह हमारे समाज की गिरती संवेदना का आईना है। एक बुज़ुर्ग महिला को सिर्फ इसलिए कचरे में फेंक देना कि वह बीमार है? ये वही भारत है जहां ‘मां’ को देवी का दर्जा दिया जाता है।

पुलिस की अपील: अगर आप महिला को पहचानते हैं, तुरंत संपर्क करें

आरे पुलिस ने जनता से अपील की है कि यदि कोई भी यशोदा गायकवाड़ को जानता है या उनका परिवार पहचानता है, तो तुरंत पुलिस स्टेशन से संपर्क करें। यह सिर्फ एक कानूनी मामला नहीं, बल्कि इंसानियत की रक्षा का मामला है।

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