असीम मुनीर की अमेरिका यात्रा: एक “गुप्त” लंच, विवादास्पद बयान और पाकिस्तान की खोखली प्रतिष्ठा

पाकिस्तान के वास्तविक सत्ता केंद्र—फील्ड मार्शल असीम मुनीर—की हालिया अमेरिका यात्रा न केवल राजनीतिक संदेशों से भरी हुई थी, बल्कि इसमें कूटनीतिक औपचारिकताओं की जगह एक अजीब नाटक जैसा माहौल भी देखने को मिला। व्हाइट हाउस में लंच, जिसमें अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप उर्फ “बाबाजी” भी मौजूद थे, पाकिस्तान के सियासी तंत्र की परतें खोल दीं।

लंच या शक्ति प्रदर्शन?

असीम मुनीर तय नहीं कर पा रहे थे कि इस बेहद गोपनीय कार्यक्रम में सादा सूट पहनें या फुल मिलिट्री डेकोरेशन। यह निर्णय आसान नहीं था, खासतौर पर जब मेज़बान को वर्दी पसंद हो। आखिरकार यह एक ऐसा मंच था, जहां उन्हें न केवल खुद को पाकिस्तान का असली शासक साबित करना था, बल्कि दुनिया को यह भी दिखाना था कि सिविलियन सत्ता कितनी हाशिए पर है।

यही वजह थी कि न पाकिस्तानी राजदूत को इस मीटिंग में प्रवेश मिला, न ही गृह मंत्री मोहसिन नकवी को। वे सिर्फ दरवाजे के बाहर इंतजार करते रहे—एक पालतू प्रतिनिधि की तरह। केवल एक और असीम—आईएसआई प्रमुख असीम मलिक—को भीतर बुलाया गया।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पर शर्मनाक बयान

इस बेहद संवेदनशील दौरे के दौरान असीम मुनीर ने अमेरिकी-पाकिस्तानी प्रवासी समुदाय को संबोधित करते हुए एक विवादास्पद बयान दिया। उन्होंने कहा,

“अगर कोई कुत्ता भी पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बन जाए और अच्छा काम करे, तो उसकी सराहना करनी चाहिए।”

यह बयान न सिर्फ असंवेदनशील था, बल्कि इससे यह भी साफ हो गया कि पाकिस्तान में लोकतंत्र, जनता और प्रधानमंत्री पद का सम्मान कितने निचले स्तर पर है।

अमेरिकी चुप्पी और ‘चयनात्मक लोकतंत्र’

इस मुलाकात और बयानबाज़ी के बावजूद अमेरिका के विदेश विभाग या बिडेन प्रशासन ने इमरान खान की गिरफ्तारी, चुनावी धांधलियों, और शरीफ भाइयों की सत्ता वापसी जैसे गंभीर मसलों पर एक भी शब्द नहीं कहा।

ट्रंप, जो भविष्य की सत्ता में अपनी वापसी की तैयारी में हैं, को सिर्फ व्यापार, सैन्य सहयोग, और अपने नोबेल पुरस्कार की उम्मीद की चिंता है। इससे साफ झलकता है कि अमेरिका की नजरों में लोकतंत्र से ज्यादा अहमियत भू-राजनीतिक हितों की है।

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लंच का मेनू और नाटक

लंच में किसी तस्वीर या आधिकारिक दस्तावेज को सार्वजनिक नहीं किया गया। सिर्फ एक चीज सामने आई—मेनू कार्ड, जिसमें बड़े अक्षरों में लिखा था: “सभी भोजन हलाल हैं।” यह एक संकेत था कि यह आयोजन भले ही व्हाइट हाउस में हुआ हो, लेकिन उसकी स्क्रिप्ट कहीं और से लिखी गई थी।

फर्स्ट कोर्स में बकरी पनीर गेटौ, टमाटर जैम और बटरमिल्क बिस्किट परोसे गए। मेन कोर्स में स्प्रिंग लैम्ब, गोल्ड राइस और जामबाला था। मिठाई के रूप में नेक्टराइन टार्ट और आइसक्रीम ने माहौल को मिठास दी—but the diplomacy was far from sweet.

बाबाजी का भाषण और पाकिस्तान महान?

लंच के बाद ट्रंप ने मार्को रुबियो के समर्थन से भाषण दिया, जिसमें पाकिस्तान को अपना बताया गया। “मेरा बलूचिस्तान, आपकी खुफिया जानकारी मेरी है,” जैसे वाक्य एक गैर-लोकतांत्रिक संबंध का संकेत दे रहे थे। असीम मुनीर और आईएसआई प्रमुख दोनों ने एक सुर में हामी भरी।

बाद में ट्रंप ने कैमरे के सामने आकर कहा: “पाकिस्तान महान है!”

डिनर में थिंक टैंक की थकावट

दिन का समापन पाकिस्तानी दूतावास में एक थिंक टैंक डिनर के साथ हुआ, जिसमें अमेरिकी पूर्व राजनयिक, चार कांग्रेस स्टाफ सदस्य, और कुछ पश्चिमी पत्रकार शामिल थे (पाकिस्तानी पत्रकारों को आमंत्रित नहीं किया गया था)।

यहां फील्ड मार्शल मुनीर ने एक और 90 मिनट लंबा भाषण दिया—“गरीब पाकिस्तान, दुष्ट भारत” शीर्षक से। इस भाषण में भारत के खिलाफ जहर, पानी पर बदले की धमकी, और ट्रंप की महिमा गाई गई।

हकीकत: पसीना और प्रचार

डिनर में मौजूद लोग न केवल बोर हो चुके थे, बल्कि गर्मी से परेशान थे, क्योंकि दूतावास की एयर कंडीशनिंग खराब हो चुकी थी। यह एक प्रतीक था—जैसे पाकिस्तान में लोकतंत्र भी बंद हो चुका हो।

इस बीच, मुनीर का प्रचार अभियान जारी रहा: पर्यटन के लिए पाकिस्तान आइए, हिप्पी ट्रेल दोबारा खोजिए, और नई किस्म की नशे की दुनिया में प्रवेश करिए—क्योंकि भांग तो अब पुरानी हो चुकी है।

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