भोपाल में कांग्रेस का हल्लाबोल: नेशनल हेराल्ड केस में चार्जशीट पर ईडी के खिलाफ ज़ोरदार प्रदर्शन

भोपाल, 16 अप्रैल – मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल इस दिन राजनीतिक तूफान का गवाह बना, जब कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ दायर चार्जशीट के विरोध में जबरदस्त प्रदर्शन किया। नेशनल हेराल्ड और एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) से जुड़े इस मनी लॉन्ड्रिंग केस को लेकर कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला और इसे “राजनीतिक प्रतिशोध” की कार्रवाई बताया।

जीतू पटवारी का प्रतीकात्मक विरोध: “पिंजरे में बंद तोता”

इस विरोध प्रदर्शन की अगुवाई मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने की। उन्होंने एक पिंजरे में बंद तोता लेकर ED कार्यालय तक मार्च किया, जिसे उन्होंने “ईडी की राजनीतिक गुलामी” का प्रतीक बताया। पटवारी ने कहा,
“यह तोता उस ईडी का प्रतीक है जो केंद्र सरकार के इशारे पर विपक्ष को डराने के लिए काम कर रही है। यह लोकतंत्र की हत्या है।”

उनका यह विरोध प्रदर्शन न केवल प्रतीकात्मक था, बल्कि कांग्रेस की रणनीति का हिस्सा भी, जिसमें जांच एजेंसियों के दुरुपयोग को लेकर जनता के बीच संदेश देना था।

प्रदर्शन में सैकड़ों कार्यकर्ताओं की भागीदारी

प्रदर्शन सुबह से ही तेज़ हो गया था। सैकड़ों कांग्रेस कार्यकर्ता भोपाल स्थित ED कार्यालय के बाहर इकट्ठा हो गए। “ED की गुंडागर्दी बंद करो”, “मोदी सरकार हाय-हाय” जैसे नारे लगाए गए। विरोध इतना प्रभावशाली था कि पुलिस को कार्यालय के मुख्य द्वार को बंद कर बैरिकेडिंग करनी पड़ी।

जब कुछ कार्यकर्ताओं ने बैरिकेड पार करने की कोशिश की तो हल्की झड़प और धक्का-मुक्की की स्थिति बनी, लेकिन पुलिस ने स्थिति को संभालते हुए हालात को नियंत्रण में रखा।

तपती धूप में सड़क पर लेटे कार्यकर्ता

गर्मी और धूप की परवाह किए बिना, कई कार्यकर्ता सड़क पर लेटकर शांतिपूर्ण तरीके से विरोध जताते नजर आए। यह प्रदर्शन न केवल राजनीतिक विरोध था, बल्कि यह संदेश भी था कि कांग्रेस कार्यकर्ता अपने नेताओं के साथ खड़े हैं और लोकतंत्र के नाम पर किसी भी “राजनीतिक बदले” को बर्दाश्त नहीं करेंगे।

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ईडी की चार्जशीट: क्या है मामला?

इस पूरे विरोध प्रदर्शन की जड़ है ED द्वारा दाखिल की गई चार्जशीट, जो दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में 9 अप्रैल को दाखिल की गई थी। इसमें सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सैम पित्रोदा, सुमन दुबे समेत कई नेताओं को आरोपी बनाया गया है।

चार्जशीट PMLA (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) की विभिन्न धाराओं के तहत दाखिल की गई, जिसमें दावा किया गया कि यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड (YIL), जिसमें सोनिया और राहुल दोनों के पास 38% शेयर हैं, ने AJL की करोड़ों की संपत्ति को मात्र 50 लाख रुपये में अधिग्रहित किया।

ED का आरोप है कि इस सौदे के जरिए 661 करोड़ रुपये की संपत्तियों को अवैध रूप से अपने कब्जे में लिया गया। इसे मनी लॉन्ड्रिंग की साजिश बताते हुए एजेंसी ने इन संपत्तियों को जब्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

कांग्रेस का जवाब: “न लाभ हुआ, न लॉन्ड्रिंग”

कांग्रेस पार्टी ने इन सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है। पार्टी का कहना है कि यंग इंडियन एक गैर-लाभकारी संस्था है, जिसका उद्देश्य केवल नेशनल हेराल्ड अखबार को फिर से जीवित करना था, न कि कोई व्यक्तिगत संपत्ति बनाना।

कांग्रेस का दावा है कि न तो इसमें किसी तरह का निजी लाभ हुआ, और न ही कोई मनी लॉन्ड्रिंग। पार्टी नेताओं का कहना है कि यह मामला पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है, और इसका इस्तेमाल विपक्ष को दबाने के लिए किया जा रहा है।

केंद्र पर सीधा आरोप: “जांच एजेंसियों का दुरुपयोग”

प्रदर्शन के दौरान PCC अध्यक्ष जीतू पटवारी और अन्य नेताओं ने केंद्र सरकार पर जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया। उनका कहना था कि बीजेपी सरकार ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स जैसी एजेंसियों को एक हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है ताकि विपक्षी नेताओं को झूठे मामलों में फंसा कर बदनाम किया जा सके।

पटवारी ने कहा,
“यह कार्रवाई लोकतंत्र को खत्म करने की साजिश है। जब भी चुनाव नजदीक आते हैं, ईडी सक्रिय हो जाती है और विपक्ष को निशाना बनाती है।”

भोपाल में हुए इस प्रदर्शन ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि नेशनल हेराल्ड केस अब केवल एक कानूनी मुद्दा नहीं रहा, बल्कि यह राजनीतिक लड़ाई का रूप ले चुका है। कांग्रेस इसे लोकतंत्र की रक्षा की लड़ाई बता रही है, तो बीजेपी इसे गांधी परिवार की भ्रष्टाचार गाथा कह रही है।

फिलहाल, देश की जनता इस लड़ाई को देख रही है और फैसला अब कोर्ट में नहीं, बल्कि जनता की अदालत में भी होगा।

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