अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच बुधवार को 35 मिनट लंबी फोन कॉल हुई। यह बातचीत ऐसे समय पर हुई, जब कुछ ही घंटों बाद ट्रंप की मुलाकात पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर से तय थी। इस कॉल को भारत की ओर से एक स्पष्ट कूटनीतिक संकेत माना जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, पीएम मोदी ने इस बातचीत में पांच बड़े मुद्दे उठाए, जिनका सीधा संबंध भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता से है।
1. आतंकवाद पर सख्त रुख:
पीएम मोदी ने इस बातचीत की शुरुआत आतंकवाद के मुद्दे से की। उन्होंने बिना पाकिस्तान का नाम लिए कहा कि आतंकवाद किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है और जो देश इसे समर्थन देते हैं, उनके खिलाफ वैश्विक समुदाय को एकजुट होना होगा।
2. भारत की सुरक्षा और संप्रभुता:
मोदी ने ट्रंप को स्पष्ट संदेश दिया कि भारत शांति में विश्वास रखता है, लेकिन सुरक्षा और संप्रभुता के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि भारत अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगा।
3. भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी:
बातचीत में तीसरा बड़ा बिंदु भारत और अमेरिका की रणनीतिक साझेदारी रहा। मोदी ने बताया कि दोनों देशों के बीच तकनीकी, रक्षा और व्यापारिक सहयोग को और अधिक मजबूती दी जानी चाहिए।
4. इंडो-पैसिफिक में स्थिरता:
मोदी ने ट्रंप को आगाह किया कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन और पाकिस्तान जैसी शक्तियों की आक्रामक गतिविधियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अमेरिका को क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने में अधिक सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।
5. वैश्विक मंचों पर भारत की चिंता:
पीएम मोदी ने यह भी कहा कि यदि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की वैध चिंताओं की अनदेखी की जाती है, तो यह लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ होगा। भारत का मानना है कि हर वैश्विक निर्णय में निष्पक्षता और संतुलन जरूरी है।
क्या यह सिर्फ एक औपचारिक कॉल थी?
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कॉल सिर्फ एक औपचारिकता नहीं थी, बल्कि एक सटीक और रणनीतिक सिग्नल था — डोनाल्ड ट्रंप को और अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान को। मोदी सरकार यह स्पष्ट कर रही है कि भारत किसी भी प्रकार के पक्षपात को बर्दाश्त नहीं करेगा।
भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है यह संदेश?
यदि अमेरिका और पाकिस्तान के बीच नई नजदीकी बनती है, तो इसका सीधा असर भारत की सुरक्षा नीति और दक्षिण एशिया की राजनीतिक स्थिरता पर पड़ेगा। इसलिए यह कॉल आने वाले समय की रणनीतिक तैयारी का हिस्सा मानी जा सकती है।
मोदी और ट्रंप के बीच यह कॉल एक मजबूत और स्पष्ट संदेश था — भारत अपनी सुरक्षा, साझेदारी और क्षेत्रीय संतुलन को लेकर गंभीर है। आने वाले हफ्तों में अमेरिका और पाकिस्तान के बीच बनते समीकरणों पर भारत की कूटनीतिक प्रतिक्रिया देखना दिलचस्प होगा।
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