देश की राजधानी दिल्ली से एक ऐसा वीडियो सामने आया है जिसने स्वास्थ्य सेवाओं और इंसानियत दोनों पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। एक बेटे को अपने 84 वर्षीय डायबिटीज़ पीड़ित पिता को अस्पताल की तीसरी मंज़िल से घसीटकर नीचे लाना पड़ा। वजह यह थी कि अस्पताल स्टाफ ने व्हीलचेयर देने से साफ मना कर दिया।बेटे ने आरोप लगाया कि अस्पताल के कर्मचारियों ने या तो उसे घंटों इंतज़ार करने के लिए कहा, या फिर परोक्ष रूप से पैसे यानी रिश्वत मांगी। मजबूरी में उसने अपने बूढ़े और बीमार पिता को ज़मीन पर घसीटते हुए नीचे लाया। इस अमानवीय घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया।
सोशल मीडिया पर गुस्सा और आक्रोश
जैसे ही यह वीडियो इंटरनेट पर आया, लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। हजारों यूज़र्स ने अस्पताल प्रशासन को आड़े हाथों लिया और सवाल किया कि अगर देश की राजधानी में यह हाल है, तो बाकी शहरों और छोटे कस्बों की स्थिति कैसी होगी?
लोगों ने टिप्पणी की कि “जब तक अस्पतालों में संवेदनशीलता और जिम्मेदारी नहीं आएगी, तब तक आम मरीजों को इसी तरह की जिल्लत झेलनी पड़ेगी।
प्रशासन की प्रतिक्रिया और कार्रवाई
मामला बढ़ने पर अस्पताल प्रशासन हरकत में आया। जांच के आदेश दिए गए और शुरुआती कार्रवाई करते हुए दो कॉन्ट्रैक्ट सुपरवाइज़रों को सस्पेंड कर दिया गया है।हालांकि सवाल यह है कि क्या केवल निलंबन भर से समस्या का समाधान हो जाएगा?
हर बार वीडियो वायरल होने के बाद ही कार्रवाई क्यों होती है? मरीजों के साथ मानवीय व्यवहार और बुनियादी सुविधाएं पहले से सुनिश्चित क्यों नहीं की जातीं?
स्वास्थ्य सेवाओं की हालत पर सवाल
भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, लापरवाही और भ्रष्टाचार लंबे समय से चर्चा का विषय रहे हैं।दिल्ली जैसे बड़े शहर में अगर 84 साल के बुजुर्ग को व्हीलचेयर तक नसीब नहीं होती, तो यह सिस्टम की गंभीर खामियों को उजागर करता है।ऐसी घटनाएं इस बात का सबूत हैं कि स्वास्थ्य ढांचे में सुधार और प्रशासनिक जवाबदेही समय की सबसे बड़ी मांग है।
इंसानियत कब जागेगी?
यह घटना सिर्फ एक परिवार की पीड़ा नहीं है, बल्कि पूरे समाज के लिए चेतावनी है।मरीज अस्पताल जाते हैं तो यह उम्मीद लेकर कि वहां उनकी देखभाल होगी, लेकिन जब अस्पताल ही लापरवाह और अमानवीय बन जाए, तो इंसानियत का क्या होगा?सरकार और स्वास्थ्य संस्थानों को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी मरीज बुनियादी सुविधाओं से वंचित न हो।

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