कश्मीर घाटी के सुंदरतम पर्यटन स्थलों में से एक पहलगाम एक बार फिर आतंक की स्याह छाया में आ गया है। 22 अप्रैल को हुए भीषण आतंकी हमले का एक नया वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें पर्यटकों की बेबसी और खौफ साफ नज़र आता है।
इस हमले में लश्कर-ए-तैयबा के एक धड़े के आतंकियों ने अंधाधुंध गोलीबारी कर 26 लोगों की जान ले ली, जिनमें से सिर्फ एक स्थानीय था, बाकी सभी बाहरी पर्यटक थे। यह हमला न केवल कश्मीर के पर्यटन व्यवसाय पर गहरी चोट है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि आतंकी अब निर्दोष नागरिकों को भी निशाना बना रहे हैं।
वीडियो में दिखी डर की तस्वीर
वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि बेसरान वैली की खूबसूरत वादियों के बीच स्थित एक स्थानीय कश्मीरी कपड़ों की दुकान (किओस्क) के पास कई पुरुष, महिलाएं और बच्चे सहमे हुए खड़े हैं। कुछ लोग घुटनों के बल झुककर एक-दूसरे को ढांप रहे हैं, तो कुछ कांपते हाथों से फोन पकड़े हुए हैं।
पीछे से लगातार गोलियों की आवाज़ सुनाई दे रही है। कोई चीख नहीं, कोई चिल्लाहट नहीं – बस डर और सन्नाटा। यह वीडियो जैसे आतंक के साये में बदलते कश्मीर की असलियत बयां करता है।
पर्यटकों को बनाया गया निशाना
22 अप्रैल को दोपहर के वक्त जब पहलगाम के पर्यटक बेसरान वैली में ट्रैकिंग, घुड़सवारी और खरीदारी में मशगूल थे, तभी कुछ नकाबपोश आतंकी अचानक इलाके में दाखिल हुए और अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, हमले का उद्देश्य अस्थिरता फैलाना और पर्यटन सीजन को बर्बाद करना था।
इस हमले में मारे गए 26 लोगों में से 25 पर्यटक थे – जिनमें दिल्ली, यूपी, गुजरात और बिहार के लोग शामिल थे।
स्थानीय लोगों की बहादुरी
वीडियो में यह भी देखा गया कि कैसे कुछ स्थानीय कश्मीरी दुकानदार और गाइड अपनी जान जोखिम में डालकर पर्यटकों को सुरक्षित स्थानों की ओर ले जाते नजर आए।
एक स्थानीय युवक, फैजल (बदला हुआ नाम), ने बताया,
“हमने देखा कि गोलियां चल रही हैं, लेकिन जब हमारे पास खड़े पर्यटक रोने लगे, तो हम उन्हें लेकर एक बड़े पत्थर के पीछे ले गए।”
इस तरह की घटनाएं एक बार फिर दिखाती हैं कि कश्मीर का आम नागरिक आतंकियों के साथ नहीं, बल्कि शांति और इंसानियत के साथ खड़ा है।
सरकार और सुरक्षा एजेंसियों की प्रतिक्रिया
केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि “इस कायराना हरकत का जवाब ज़रूर दिया जाएगा।” एनआईए और अन्य जांच एजेंसियों ने जांच शुरू कर दी है और ड्रोन फुटेज, सीसीटीवी और मोबाइल डेटा के ज़रिए आतंकियों की पहचान की जा रही है।
गृह मंत्रालय के मुताबिक, हमले के पीछे लश्कर-ए-तैयबा का एक अलगाववादी धड़ा TRF (The Resistance Front) है, जिसे पाकिस्तान से समर्थन मिल रहा है।
पर्यटन पर असर
हमले के बाद पहलगाम और आसपास के इलाकों में होटल और हाउसबोट्स की बुकिंग रद्द हो गई हैं। कई टूर ऑपरेटरों ने ग्रुप कैंसिल कर दिए हैं। स्थानीय व्यापारियों को डर है कि इस हमले से गर्मियों के टूरिस्ट सीजन पर गहरा असर पड़ेगा, जो उनके साल भर की कमाई का सबसे बड़ा जरिया होता है।
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने पहलगाम और गुलमर्ग जैसे पर्यटन स्थलों पर सुरक्षा बढ़ा दी है। ड्रोन निगरानी, रैंडम चेकिंग और QRT (Quick Reaction Teams) की तैनाती कर दी गई है। लेकिन बड़ा सवाल यही है कि क्या यह काफ़ी होगा?
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि अब सिर्फ सुरक्षा नहीं, बल्कि स्थानीय लोगों को मुख्यधारा में लाने, युवाओं को रोजगार देने और अलगाववादी विचारधारा के खिलाफ कड़े कदम उठाने की ज़रूरत है।
पहलगाम का यह हमला एक जख्म बनकर रह गया है – न केवल उन परिवारों के लिए जिन्होंने अपनों को खोया, बल्कि पूरे देश के लिए जिसने कश्मीर को अपना ‘जन्नत’ समझा।
वायरल वीडियो में दिखता डर और खामोशी इस बात की याद दिलाता है कि आतंक का कोई मजहब नहीं होता, और इसका सबसे बड़ा शिकार आम इंसान होता है – चाहे वह पर्यटक हो या स्थानीय।
अब ज़रूरत है एक ठोस, निर्णायक और एकजुट प्रतिक्रिया की – ताकि कश्मीर में बहती खूबसूरती की नदी को आतंक की कालिख न ढक सके।
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