October 31, 2025

राजधानी लखनऊ में ईमानदारी पर सवाल, एंटी करप्शन ने पकड़ा रिश्वत लेते चौकी इंचार्ज

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से इस वक्त जो वीडियो वायरल हो रहा है, उसने पूरे प्रदेश में सनसनी मचा दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सख्त प्रशासनिक छवि के बावजूद, पुलिस विभाग के अंदर से भ्रष्टाचार का चेहरा एक बार फिर उजागर हुआ है।महानगर कोतवाली के पेपर मिल चौकी इंचार्ज धनंजय सिंह को एंटी करप्शन टीम ने रंगे हाथों गिरफ्तार किया, जब वह 2 लाख रुपये की रिश्वत लेते पकड़े गए।

कैसे हुआ खुलासा: कैमरा, कैश और करप्शन—एक ही फ्रेम में!

मामले की शुरुआत तब हुई जब एक कोचिंग संचालक ने आरोप लगाया कि एक गंभीर गैंगरेप केस में नाम हटाने के बदले दरोगा धनंजय सिंह ने 2 लाख रुपये की मांग की। सूत्रों के मुताबिक, संचालक से कई दिनों से दबाव बनाया जा रहा था—पैसे नहीं दिए तो नाम हटाया नहीं जाएगा! इसके बाद एंटी करप्शन टीम को शिकायत दी गई। टीम ने ट्रैप ऑपरेशन प्लान किया और जैसे ही धनंजय सिंह ने कैश अपने हाथ में लिया, मौके पर ही टीम ने दबिश दी। वीडियो में साफ दिखाई दे रहा है—कैसे पैसे दिए गए, कैसे बात हुई, और कैसे अधिकारी पकड़ा गया।

कानून पर सवाल: क्या एक दरोगा किसी का नाम हटा सकता है?

अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि— क्या किसी पुलिस अधिकारी को इतना अधिकार है कि वो किसी आरोपी का नाम “कैश के बदले” जोड़ या हटा सके? अगर ऐसा है, तो फिर कानून कहां है? क्या पुलिस थानों में फैसले नोटों से तय होंगे? ये घटना सिर्फ एक रिश्वत का मामला नहीं, बल्कि पूरा सिस्टम हिला देने वाला उदाहरण है।

एंटी करप्शन की कार्रवाई और आगे की जांच

एंटी करप्शन ब्यूरो ने दरोगा धनंजय सिंह को गिरफ्तार कर लिया है और फिलहाल उनसे पूछताछ जारी है। प्राथमिक जांच में यह भी सामने आया है कि यह पहली बार नहीं, बल्कि पहले भी इसी तरह के आरोप इस अधिकारी पर लग चुके हैं। विभाग अब यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि क्या इस नेटवर्क में अन्य पुलिसकर्मी या अधिकारी भी शामिल हैं। फिलहाल, वीडियो वायरल हो चुका है और आम जनता में नाराजगी बढ़ रही है।

जनता का गुस्सा: ‘यूपी पुलिस पर भरोसा कैसे करें?’

सोशल मीडिया पर इस वीडियो के वायरल होते ही लोग सवाल उठा रहे हैं— क्या इसी पुलिस से इंसाफ की उम्मीद की जाए? क्या अब शिकायत दर्ज कराने के लिए भी ‘कैश’ की जरूरत होगी? एक यूजर ने लिखा—“अगर राजधानी लखनऊ में ऐसा हो सकता है, तो छोटे शहरों में क्या होता होगा?” वहीं कई लोग यूपी सरकार की भ्रष्टाचार विरोधी नीति की तारीफ भी कर रहे हैं, यह कहते हुए क “कम से कम भ्रष्ट अधिकारी पकड़ा तो गया!”

सरकार का संदेश: ‘भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं’

योगी सरकार लगातार दावा करती आई है कि कानून व्यवस्था उसकी प्राथमिकता है। इस मामले में कार्रवाई से सरकार ने ये संकेत दिया है कि चाहे दरोगा हो या अफसर, कोई भी कानून से ऊपर नहीं। मुख्यमंत्री कार्यालय से जुड़े सूत्रों का कहना है कि “भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति पर सरकार अडिग है, कोई भी दोषी बख्शा नहीं जाएगा।”

जब सिस्टम ईमानदार हो, तो करप्शन टिक नहीं सकता

यह घटना एक सबक है—कानून की लड़ाई कैश से नहीं, सच से जीती जाती है। अगर जनता आवाज उठाए और सिस्टम ईमानदार बना रहे, तो भ्रष्टाचार खुद खत्म हो जाएगा। फिलहाल लखनऊ का यह मामला यह साबित करता है क “भ्रष्टाचार कितना भी चालाक क्यों न हो… कैमरे और कानून से नहीं बच सकता!”

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