पश्चिम बंगाल में हाल के महीनों में एक ऐसा बदलाव देखने को मिला है, जिसने प्रशासन से लेकर राजनीतिक हलकों तक सबका ध्यान खींच लिया है। राज्य में मुस्लिम जोड़ों के विवाह रजिस्ट्रेशन में अचानक और असामान्य वृद्धि दर्ज की गई है। खास बात यह है कि यह रजिस्ट्रेशन पारंपरिक मुस्लिम कानून की बजाय Special Marriage Act (SMA), 1954 के तहत किया जा रहा है—जो आमतौर पर इंटरफेथ या सिविल विवाह के लिए जाना जाता है।
क्यों बढ़ रहा है SMA की ओर रुझान?
नवंबर 2024 से अक्टूबर 2025 के बीच 1,130 मुस्लिम जोड़ों ने SMA के तहत विवाह रजिस्टर कराया है।लेकिन असल चौंकाने वाला डेटा यह है कि 609 आवेदन सिर्फ जुलाई-अक्टूबर 2025 के बीच आए—यानी वही समय जब पड़ोसी बिहार में वोटर लिस्ट की विशेष जांच चल रही थी।सरकारी अधिकारियों का मानना है कि यह बढ़ोतरी पहचान प्रमाण और दस्तावेजों की वैधता से जुड़ी चिंताओं के कारण हुई है। पारंपरिक मुस्लिम विवाह प्रमाणपत्र, जो Bengal Muhammadan Marriages Act, 1876 के तहत जारी होते हैं, कई प्रशासनिक प्रक्रियाओं में पूरी तरह स्वीकार नहीं किए जाते। इन प्रमाणपत्रों में कई बार पता और पहचान की पुष्टि पर्याप्त नहीं मानी जाती, जिसके चलते कई जगह दिक्कतें आती हैं।
SMA क्यों बन रहा है मुस्लिम जोड़ों की पहली पसंद?
SMA एक सार्वजनिक और मजबूत कानूनी आधार देता है, जो किसी भी सरकारी संस्था, बैंक, पासपोर्ट ऑफिस, स्कूल एडमिशन या कानूनी प्रक्रिया में पूरी तरह स्वीकार्य होता है।मुस्लिम जोड़े, खासकर बांग्लादेश और बिहार सीमा से सटे जिलों में, अब एक ऐसी पहचान चाहते हैं जो पूरी तरह सुरक्षित और आधिकारिक हो।यानी बात केवल विवाह की नहीं हैयह पहचान, सुरक्षा और प्रशासनिक मान्यता की एक नई कहानी है।
वर्तमान सामाजिक-राजनीतिक माहौल में इसका महत्व
देश के कई हिस्सों में पहचान से जुड़ी नीतियों और प्रक्रियाओं पर चर्चा तेज है। ऐसे वातावरण में पश्चिम बंगाल के मुस्लिम जोड़ों द्वारा SMA के तहत रजिस्ट्रेशन करवाना एक बड़ा सामाजिक संकेत है कि लोग अब कानूनी स्पष्टता और दस्तावेजों की मजबूती को प्राथमिकता दे रहे हैं।यह ट्रेंड बताता है कि विवाह अब केवल एक सामाजिक प्रथा नहीं रह गया है यह भविष्य की सुरक्षा और पहचान की मजबूत नींव भी बन रहा है।

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