November 11, 2025

बिहार चुनाव 2025: तेजस्वी का बड़ा ऐलान—महागठबंधन सरकार में कई डिप्टी सीएम, मुस्लिम समुदाय को भी मिलेगी जगह

डिप्टी सीएम की कुर्सी पर छिड़ी जंग: मुकेश साहनी से शुरू हुआ विवाद

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का रणक्षेत्र तैयार है, जहां महागठबंधन की सरकार बनेगी या नहीं, यह तो वोटों का फैसला करेगा, लेकिन डिप्टी सीएम पद की लड़ाई अभी से गरम हो चुकी है। हाल ही में महागठबंधन ने तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किया तो विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख मुकेश साहनी को डिप्टी सीएम का चेहरा बना दिया। यह फैसला अतिपिछड़े मल्लाह समुदाय के वोटों को साधने की रणनीति थी, लेकिन इससे 17% आबादी वाले मुस्लिम समुदाय में असंतोष फैल गया। मुस्लिम नेताओं ने खुलेआम आवाज उठाई कि अगर 3% आबादी वाले समुदाय को डिप्टी सीएम का वादा हो सकता है, तो 17% मुस्लिमों को क्यों नहीं? AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी तंज कसा कि महागठबंधन मुस्लिमों को सिर्फ वोट बैंक मानता है। कांग्रेस ने इस मांग का खुला समर्थन किया, और अब तेजस्वी यादव ने मुहर लगा दी।

तेजस्वी का ऐलान: एक नहीं, कई डिप्टी सीएम—मुस्लिम प्रतिनिधित्व निश्चित

शनिवार को इंडिया टुडे के साथ विशेष साक्षात्कार में तेजस्वी ने साफ कहा, “महागठबंधन सरकार में एक से अधिक डिप्टी सीएम होंगे, और उनमें मुस्लिम समुदाय से भी प्रतिनिधित्व होगा। निश्चित रूप से।” उन्होंने जोर देकर कहा कि सभी समुदायों की भागीदारी जरूरी है, ताकि बिहार की सत्ता में सामाजिक न्याय हो। कांग्रेस प्रभारी शहनवाज आलम ने भी कहा कि अगर इंडिया गठबंधन की सरकार बनी तो उनकी पार्टी से दो डिप्टी सीएम बनेंगे—एक मुस्लिम और एक सामान्य वर्ग से। यह ऐलान महागठबंधन के ‘तेजस्वी प्रण’ घोषणापत्र से ठीक पहले आया, जिसमें 25 वादों के साथ सामाजिक प्रतिनिधित्व पर फोकस है। तेजस्वी का यह बयान ओवैसी के सवालों को टालने का भी तरीका था—उन्होंने हल्की मुस्कान के साथ कहा, “छोड़िए ना, क्या कहूं। हम वादों पर फोकस कर रहे हैं।”

सामाजिक न्याय या चुनावी गणित? ट्रिपल M फैक्टर पर दांव

तेजस्वी का यह ऐलान सामाजिक न्याय की राजनीति का प्रतीक लगता है, लेकिन विशेषज्ञ इसे ‘ट्रिपल M फैक्टर’—मुस्लिम, महिला, मोस्ट बैकवर्ड—को साधने की रणनीति बता रहे हैं। 2020 में महागठबंधन 4% वोटों से चूक गया था, अब मुकेश साहनी को डिप्टी सीएम बनाकर अतिपिछड़ों को लुभाया गया, तो मुस्लिम प्रतिनिधित्व से 17.7% मुस्लिम वोटों को एकजुट करने की कोशिश है। पूर्व राजस्थान CM अशोक गहलोत ने भी कहा था कि महागठबंधन में कई डिप्टी सीएम होंगे। लेकिन NDA ने इसे ‘मुस्लिम तुष्टिकरण’ का आरोप लगाया। जेडीयू और चिराग पासवान का कहना है कि महागठबंधन मुस्लिमों को वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल करता है। नीतीश कुमार ने भी मुस्लिमों के लिए 2005-2025 के कार्यों का प्रचार शुरू कर सेंधमारी की कोशिश की।

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बिहार की सियासत में नया समीकरण: प्रतिनिधित्व की लड़ाई

यह ऐलान बिहार चुनाव को सिर्फ सीटों की नहीं, बल्कि प्रतिनिधित्व की जंग बना रहा है। महागठबंधन का फोकस 63% पिछड़ी-अति पिछड़ी, 19.65% दलित और 17.7% मुस्लिम आबादी पर है। वक्फ कानून पर तेजस्वी का वादा ‘कूड़ेदान’ में फेंकने का भी सीमांचल के मुस्लिम वोटों को ओवैसी से बचाने की चाल है। BJP ने ‘मुस्लिम डिप्टी सीएम’ को धार्मिक ध्रुवीकरण का मुद्दा बनाया, जबकि महागठबंधन इसे सामाजिक न्याय बता रहा। तेजस्वी ने BJP पर पलटवार किया कि वे अतिपिछड़ों और मुस्लिमों दोनों से परेशान हैं। 11 सीटों पर ‘फ्रेंडली फाइट’ अभी बाकी है, लेकिन यह ऐलान गठबंधन को मजबूत कर सकता है।

आगे की चुनौतियां: वादा पूरा होगा या वोटबैंक की चाल?

तेजस्वी का यह ‘राजनीतिक तीर’ महागठबंधन को फायदा पहुंचा सकता है, लेकिन सवाल बरकरार है—क्या यह वाकई नए समीकरण बनाएगा या सिर्फ वोट साधने का हथकंडा? अगर सरकार बनी तो तीन या अधिक डिप्टी सीएम का फॉर्मूला लागू होगा, जिसमें मुस्लिम, अतिपिछड़ा और अन्य समुदाय शामिल होंगे। NDA की ओर से नीतीश को 2030 तक CM बताकर जवाब दिया गया है। बिहार की सियासत में कौन किसे क्या देगा, कितना देगा—यह चुनाव का सबसे बड़ा सवाल बनेगा। तेजस्वी की यह चाल सफल होगी या नहीं, वक्त बताएगा, लेकिन फिलहाल महागठबंधन का कुनबा एकजुट दिख रहा है।

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