October 14, 2025

पटना में शिक्षक भर्ती को लेकर हज़ारों अभ्यर्थियों का प्रदर्शन, पुलिस का लाठीचार्ज कई घायल

पटना, 8 अगस्त | बिहार की राजधानी पटना से एक बड़ी खबर सामने आ रही है। शिक्षक भर्ती से जुड़ी मांगों को लेकर सड़कों पर उतरे हज़ारों अभ्यर्थियों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो गई है।

क्या है मामला?

गुरुवार को करीब 5,000 शिक्षक अभ्यर्थी पटना कॉलेज से मार्च करते हुए डाक बंगला चौराहा पहुँचे। इनकी प्रमुख मांग थी कि TRE-4 (Teacher Recruitment Exam) से पहले STET (Secondary Teacher Eligibility Test) कराया जाए।अभ्यर्थियों के हाथों में पोस्टर थे बिहार मांगे STET, वरना वोट नहीं पहले STET कराओ, फिर भर्ती लाओ ये अभ्यर्थी मुख्यमंत्री आवास की ओर कूच कर रहे थे।

कैसे बिगड़े हालात?

जब प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड तोड़ने की कोशिश की, तो पुलिस ने उन्हें जेपी गोलचक्कर के पास रोका। लेकिन भीड़ जब नियंत्रण से बाहर हो गई तो लाठीचार्ज किया गया।इस झड़प में कई अभ्यर्थी घायल हो गए। हालात शांत करने के लिए पुलिस ने वाटर कैनन और अतिरिक्त बल भी लगाया।

डाक बंगला पर फिर से भिड़ंत

डाक बंगला चौराहे पर भी दोबारा भीड़ इकट्ठा हो गई। पुलिस को वहां भी बल प्रयोग करना पड़ा। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि कुछ जगहों पर पुलिस और अभ्यर्थियों के बीच हाथापाई भी देखने को मिली।

सरकार की क्या है स्थिति?

इस बीच मुख्य सचिव ने पाँच प्रतिनिधियों को बातचीत के लिए बुलाया, लेकिन प्रदर्शनकारियों का गुस्सा थमता नहीं दिखा।इस विरोध की जड़ में है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की 4 अगस्त की घोषणा, जिसमें उन्होंने कहा था कि:TRE-4 परीक्षा 2025 में होगी
और STET अब केवल TRE-5 से पहले, यानी 2026 में कराया जाएगा।

STET क्यों है अहम?

STET वह परीक्षा है जो यह तय करती है कि कोई उम्मीदवार शिक्षक बनने के लिए शैक्षणिक और विषयगत रूप से योग्य है या नहीं। बिना STET पास किए, BPSC शिक्षक भर्ती परीक्षा में बैठना संभव नहीं है।

युवाओं का गुस्सा क्यों फूटा?

बिहार में हजारों युवा लंबे समय से शिक्षक बनने की तैयारी कर रहे हैं। STET न होने से उनकी पूरी योजना पर पानी फिर गया है। अब जब उन्हें बताया गया कि अगली पात्रता परीक्षा 2026 में होगी, तो उन्होंने इसे अपने भविष्य के साथ अन्याय बताया। सरकार की ओर से अब तक कोई ठोस आश्वासन नहीं आया है। लेकिन स्थिति लगातार तनाावपूर्ण बनी हुई है। अब देखना होगा कि सरकार इन नाराज़ युवाओं की आवाज़ सुनेगी या आंदोलन और तेज होगा।

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