देशभर में वक्फ एक्ट को लेकर बढ़ते विवाद के बीच भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता और राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कांग्रेस पार्टी पर सीधा हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने वोटबैंक की राजनीति के तहत इस कानून को पास कराया था, जिसका खामियाजा आज देश को भुगतना पड़ रहा है।
क्या है वक्फ एक्ट विवाद?
वक्फ एक्ट, 1995 एक ऐसा कानून है जिसके तहत देश में मुस्लिम समुदाय द्वारा धार्मिक और चैरिटी के लिए दी गई संपत्तियों को वक्फ बोर्ड के अधीन लाया जाता है। हाल ही में कुछ ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें वक्फ बोर्ड द्वारा निजी और सरकारी संपत्तियों पर दावा करने की बात कही गई है। इससे देश के अलग-अलग हिस्सों में विरोध शुरू हो गया है।
उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा जैसे राज्यों में कई हिंदू संगठन और आम नागरिक इस एक्ट के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका आरोप है कि यह कानून अन्य समुदायों के हितों की अनदेखी करता है और एकतरफा लाभ देता है।
कांग्रेस और विपक्षी दलों का विरोध
हालांकि, हैरानी की बात यह है कि इस बार कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियां भी इस एक्ट का विरोध कर रही हैं। कांग्रेस का कहना है कि वक्फ एक्ट में कई खामियां हैं और इसमें सुधार की आवश्यकता है। पार्टी का यह भी दावा है कि भाजपा सरकार वक्फ संपत्तियों का “राजनीतिकरण” कर रही है।
सुधांशु त्रिवेदी का तीखा जवाब
बीजेपी नेता सुधांशु त्रिवेदी ने कांग्रेस के इस रुख पर करारा जवाब देते हुए कहा,
“जो कांग्रेस आज वक्फ एक्ट का विरोध कर रही है, वही कांग्रेस इस कानून की जननी है। 1995 में जब यह कानून पास हुआ था, तब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। अब जब इसकी असलियत सामने आ रही है तो अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है।”
उन्होंने आगे कहा कि यह एक्ट “संवैधानिक असंतुलन” पैदा करता है क्योंकि देश में किसी अन्य धर्म के लिए ऐसा कोई विशेष बोर्ड या कानून नहीं है।
“हिंदू मंदिरों की संपत्ति सरकारी ट्रस्टों के अधीन है, जबकि वक्फ संपत्तियों को पूरी तरह स्वायत्तता दी गई है। यह कैसा धर्मनिरपेक्षता है?” – त्रिवेदी ने सवाल किया।
बीजेपी का रुख
भाजपा ने संकेत दिए हैं कि आने वाले समय में वक्फ एक्ट की समीक्षा की जा सकती है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, सरकार एक ऐसी नीति पर विचार कर रही है जिससे सभी धार्मिक संपत्तियों के लिए समान कानून लागू किया जा सके। इससे एक देश, एक कानून की भावना को बल मिलेगा।
जनता में नाराज़गी क्यों?
उत्तर भारत के कई जिलों में स्थानीय लोगों का कहना है कि वक्फ बोर्ड द्वारा उनकी ज़मीनों पर दावा करना न केवल अवैध है बल्कि असंवैधानिक भी है। कई मामलों में तो वक्फ बोर्ड ने अदालत का दरवाज़ा खटखटाया है, जिससे आम नागरिकों को मानसिक और आर्थिक रूप से परेशानी उठानी पड़ रही है।
वक्फ एक्ट पर देश में छिड़ी यह बहस सिर्फ एक कानून तक सीमित नहीं है, यह धर्मनिरपेक्षता, समानता और संविधान की आत्मा से जुड़ा सवाल बन चुका है। कांग्रेस जहां अब इसे एक “पुराना बोझ” कहकर किनारा कर रही है, वहीं भाजपा इस मुद्दे को राष्ट्रीय पहचान और न्याय के नजरिए से देख रही है।
सुधांशु त्रिवेदी का हमला इस बहस को एक नई दिशा दे सकता है। अब देखना यह होगा कि संसद के आगामी सत्र में सरकार इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाती है और क्या वाकई कोई संशोधन आता है।
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