देशभर में वक्फ कानून को लेकर राजनीतिक घमासान तेज, असदुद्दीन ओवैसी और योगी आदित्यनाथ आमने-सामने
देश में एक बार फिर वक्फ कानून (Waqf Act) को लेकर सियासत गरमा गई है। इस बार मामला सिर्फ किसी कानूनी पेचीदगी का नहीं, बल्कि सीधे तौर पर राजनीतिक और धार्मिक टकराव का रूप ले चुका है। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ कानून में संशोधन की कोशिशों को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला है और इसे मुस्लिम समुदाय के खिलाफ साजिश करार दिया है। वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पलटवार करते हुए कहा है कि वक्फ की आड़ में ग़रीब मुसलमानों का शोषण हो रहा है और सरकार का उद्देश्य उनके अधिकारों की रक्षा करना है।
वक्फ कानून पर देशभर में विवाद क्यों?
वक्फ एक्ट, 1995 के तहत मुस्लिम समुदाय की धार्मिक और परोपकारी संपत्तियों को वक्फ बोर्ड के अधीन लाया जाता है। हाल के वर्षों में कई राज्यों में वक्फ बोर्ड द्वारा सरकारी और निजी संपत्तियों पर दावा करने की घटनाएं सामने आई हैं। इससे हिंदू संगठनों, किसानों और सामान्य नागरिकों में नाराज़गी बढ़ी है।
अब जब भाजपा सरकार वक्फ कानून में संशोधन या समीक्षा की बात कर रही है, तो यह मुद्दा पूरी तरह से राजनीतिक मैदान का केंद्र बन गया है।
ओवैसी का सरकार पर सीधा हमला
AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ एक्ट पर केंद्र सरकार के रुख को “मुसलमानों के अधिकार छीनने की साज़िश” बताया है। उन्होंने कहा:
“वक्फ की संपत्तियां मुस्लिम समाज की धरोहर हैं। अगर सरकार इन्हें छीनने या नियंत्रण में लेने की कोशिश करती है, तो हम सड़क से संसद तक विरोध करेंगे।”
ओवैसी का दावा है कि सरकार का असली उद्देश्य वक्फ संपत्तियों को राजनीतिक लाभ के लिए हड़पना है। उन्होंने इसे “सांप्रदायिक एजेंडा” करार दिया और कहा कि मुस्लिम समुदाय को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है।
योगी आदित्यनाथ का पलटवार
ओवैसी के आरोपों पर पलटवार करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि
“वक्फ कानून का अब तक दुरुपयोग होता रहा है। ग़रीब मुसलमानों की ज़मीनों और संपत्तियों पर कुछ गिने-चुने लोग कब्जा कर लेते हैं और फिर वक्फ के नाम पर चलाने का दावा करते हैं। यह न्याय नहीं, अन्याय है।”
योगी ने आगे कहा कि वक्फ बोर्ड को पारदर्शिता और जवाबदेही के दायरे में लाना जरूरी है, ताकि कोई भी मजहब के नाम पर संपत्ति हड़पने का खेल न खेल सके। उन्होंने यह भी कहा कि वक्फ संपत्तियों का लाभ वास्तव में गरीब मुसलमानों तक पहुंचे, इसके लिए सरकार गंभीरता से काम कर रही है।
विपक्ष में मतभेद
जहां एक ओर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी वक्फ कानून में बदलाव को राजनीतिक स्टंट बता रही हैं, वहीं अंदरूनी रूप से पार्टी के कई नेता मानते हैं कि कानून में सुधार की ज़रूरत है। खासकर उत्तर भारत के कुछ कांग्रेस नेताओं ने गुपचुप तरीके से वक्फ बोर्ड की शक्तियों पर सवाल उठाए हैं।
जनता का मूड क्या कहता है?
उत्तर भारत के कई हिस्सों में आम जनता के बीच वक्फ बोर्ड की भूमिका को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं हैं। कुछ मुस्लिम समाज के लोग मानते हैं कि वक्फ बोर्ड की संपत्तियां वास्तव में उनकी हिफाजत करती हैं, जबकि दूसरी ओर कई ऐसे मामले हैं जिनमें वक्फ बोर्ड पर ज़मीन कब्जाने या मनमानी करने के आरोप लगे हैं।
कई ग्रामीण इलाकों में किसानों का आरोप है कि वक्फ बोर्ड ने ऐसी ज़मीनों पर दावा किया है, जो पीढ़ियों से उनके पास हैं।
वक्फ एक्ट अब सिर्फ एक कानूनी मुद्दा नहीं, बल्कि एक बड़ा सामाजिक और राजनीतिक प्रश्न बन गया है। ओवैसी जैसे नेता जहां इसे धार्मिक अस्तित्व से जोड़कर देख रहे हैं, वहीं योगी आदित्यनाथ इसे गरीब मुसलमानों के अधिकारों और पारदर्शिता का मामला बता रहे हैं।
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