भारत सरकार ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को वैश्विक मंच पर उजागर करने के लिए एक अभूतपूर्व कदम उठाया है। देश की सभी प्रमुख राजनीतिक पार्टियां इस मुद्दे पर एकजुट हो गई हैं, और केंद्र सरकार ने संसद के विभिन्न दलों के सांसदों के प्रतिनिधिमंडल को विदेश भेजने का फैसला किया है। ये प्रतिनिधिमंडल मई 2025 के अंत में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के स्थायी और अस्थायी सदस्य देशों सहित विश्व के प्रमुख देशों का दौरा करेंगे। प्रत्येक प्रतिनिधिमंडल में पांच सांसद शामिल होंगे, जिनमें से एक सांसद समूह का नेतृत्व करेगा। इन दौरे का मुख्य उद्देश्य ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत द्वारा की गई कार्रवाई और आतंकवाद के खिलाफ देश की नीति को वैश्विक समुदाय के सामने स्पष्ट करना है।
प्रतिनिधिमंडल के नेतृत्वकर्ता और सदस्य
संसदीय कार्य मंत्रालय ने शनिवार को प्रतिनिधिमंडल के नेतृत्वकर्ताओं के नामों की घोषणा की, जिसमें विभिन्न दलों के प्रमुख सांसद शामिल हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से रविशंकर प्रसाद और बैजयंत पांडा, कांग्रेस से शशि थरूर, जनता दल (यूनाइटेड) से संजय कुमार झा, डीएमके से कनिमोझी करुणानिधि, एनसीपी (शरद पवार गुट) से सुप्रिया सुले, और शिवसेना (शिंदे गुट) से श्रीकांत एकनाथ शिंदे इन प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व करेंगे। इसके अलावा, कांग्रेस की ओर से अन्य सांसदों में आनंद शर्मा, गौरव गोगोई, डॉ. सैयद नसीर हुसैन, और राजा बरार शामिल हैं।
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने शुक्रवार सुबह कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी से संपर्क कर चार सांसदों के नाम मांगे थे, जिसके बाद कांग्रेस ने त्वरित रूप से अपने सांसदों के नाम प्रस्तुत किए। यह कदम सभी दलों के बीच अभूतपूर्व सहयोग को दर्शाता है।
ऑपरेशन सिंदूर: आतंकवाद के खिलाफ भारत की निर्णायक कार्रवाई
इन प्रतिनिधिमंडलों का मुख्य फोकस जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले के जवाब में शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर को विश्व समुदाय के सामने प्रस्तुत करना है। इस हमले में 26 लोग मारे गए थे, जिनमें अधिकांश पर्यटक थे। इसके जवाब में, भारतीय सेना, नौसेना, और वायुसेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में नौ आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए, जिसमें 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए। भारत ने इस कार्रवाई को आतंकवाद के खिलाफ एक लक्षित अभियान के रूप में प्रस्तुत किया है, न कि किसी देश की संप्रभुता के खिलाफ युद्ध के रूप में।
वैश्विक समुदाय से समर्थन की रणनीति
प्रत्येक प्रतिनिधिमंडल का दौरा लगभग 10 दिनों का होगा, जिसमें सांसद विभिन्न देशों के नेताओं और नीति निर्माताओं से मुलाकात करेंगे। वे यह स्पष्ट करेंगे कि भारत ने आतंकवाद के खिलाफ यह कार्रवाई क्यों और कैसे शुरू की। विदेश मंत्रालय इस कवायद का नेतृत्व कर रहा है और सांसदों को उनके दौरे से पहले विस्तृत ब्रीफिंग दी जाएगी। मंत्रालय ने पहले ही यूएनएससी के सदस्य देशों को ऑपरेशन सिंदूर की पृष्ठभूमि और उद्देश्यों के बारे में जानकारी दी है, जिसमें यह जोर दिया गया है कि यह कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय कानूनों और मानवाधिकार मानदंडों के अनुरूप थी।
यह पहल न केवल पाकिस्तान के आतंकवादी ढांचे को बेनकाब करने का प्रयास है, बल्कि वैश्विक समुदाय से समर्थन हासिल करने की एक सुनियोजित रणनीति भी है। भारत का यह कदम आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में एक महत्वपूर्ण योगदान के रूप में देखा जा रहा है।
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