भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का इतिहास लंबा और जटिल रहा है, जिसमें सीमा विवाद और आतंकवाद जैसे मुद्दे हमेशा केंद्र में रहे हैं। हाल ही में भारत द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर ने न केवल पाकिस्तान समर्थित आतंकी ठिकानों को तबाह किया, बल्कि इस्लामाबाद को भारत के साथ बातचीत की मेज पर आने के लिए मजबूर कर दिया। इस सैन्य कार्रवाई ने भारत की रणनीतिक ताकत, दृढ़ इच्छाशक्ति और आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित किया। ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने के लिए विवश कर दिया, जिससे क्षेत्रीय शक्ति संतुलन में भारत की स्थिति और मजबूत हो गई।
ऑपरेशन सिंदूर: आतंकवाद को जड़ से उखाड़ने की मुहिम
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए एक भीषण आतंकी हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई। इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों, जैसे जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन, ने ली। इस जघन्य कृत्य के जवाब में भारत ने 7 मई, 2025 को ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया। भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में 9 आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए, जिनमें इन संगठनों के प्रशिक्षण शिविर, हथियार डिपो और कमांड सेंटर शामिल थे। इस ऑपरेशन में करीब 100 आतंकवादी मारे गए, जिससे इन संगठनों की कमर टूट गई।
ऑपरेशन सिंदूर की सफलता ने भारत की सैन्य तैयारी, उन्नत तकनीक और खुफिया जानकारी की ताकत को दर्शाया। यह कार्रवाई न केवल आतंकवाद के खिलाफ एक निर्णायक कदम थी, बल्कि पाकिस्तान को यह स्पष्ट संदेश भी देती है कि भारत अपनी संप्रभुता और नागरिकों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेगा।
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पाकिस्तान की कमजोरी और बातचीत की मेज पर वापसी
ऑपरेशन सिंदूर का प्रभाव इतना गहरा था कि पाकिस्तान को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना पड़ा। इस कार्रवाई में रावलपिंडी के नूरखान एयरबेस सहित कई सैन्य ठिकानों को भारी नुकसान पहुंचा। पाकिस्तान के डिप्टी पीएम और विदेश मंत्री इशाक डार ने इस्लामाबाद में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्वीकार किया कि भारत की कार्रवाई ने उनके कई महत्वपूर्ण ठिकानों को तबाह कर दिया। उन्होंने कहा, “जब भी भारत बातचीत के लिए तैयार हो, हम हर स्तर पर चर्चा के लिए तैयार हैं।” डार ने यह भी जोड़ा कि पाकिस्तान सिंधु जल संधि, पानी और अन्य मुद्दों पर व्यापक बातचीत चाहता है। हालांकि, भारत का रुख स्पष्ट है—आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते।
डार ने यह साफ करने की कोशिश की कि पाकिस्तान “हताश” नहीं है, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के बाद उनकी यह पेशकश उनकी कमजोर स्थिति को उजागर करती है। भारत ने हमेशा कहा है कि शांति और स्थिरता के लिए पाकिस्तान को आतंकवाद को समर्थन देना बंद करना होगा। ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान को यह एहसास करा दिया कि भारत अब केवल शब्दों से नहीं, बल्कि ठोस कार्रवाई से जवाब देगा।
भारत की रणनीतिक जीत और भविष्य की दिशा
ऑपरेशन सिंदूर ने न केवल आतंकवाद को करारा जवाब दिया, बल्कि भारत की रणनीतिक और कूटनीतिक ताकत को भी दुनिया के सामने ला दिया। यह कार्रवाई क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती है, बशर्ते पड़ोसी देश आतंकवाद को बढ़ावा देना बंद करें। पाकिस्तान की बातचीत की पेशकश इस ऑपरेशन की सफलता का प्रमाण है, लेकिन भारत का ध्यान आतंकवाद पर केंद्रित रहेगा।
यह ऑपरेशन भारत के लिए एक मील का पत्थर है, जो दर्शाता है कि देश अपनी सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। भविष्य में, भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों का रास्ता इस बात पर निर्भर करेगा कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ कितनी गंभीरता से कदम उठाता है।
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