भारत ने गरीबी के खिलाफ अपनी लड़ाई में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर हासिल किया है। वर्ल्ड बैंक की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, देश में अत्यधिक गरीबी दर 27.1% से घटकर मात्र 5.3% पर आ गई है। यह गिरावट न केवल आंकड़ों में बदलाव है, बल्कि यह उन करोड़ों भारतीयों की ज़िंदगी में आई आशा, आत्मनिर्भरता और उन्नति की कहानी है, जिन्होंने गरीबी से ऊपर उठकर एक नया जीवन शुरू किया।
2011-12 में जहां लगभग 34 करोड़ भारतीय अत्यधिक गरीबी की स्थिति में थे, वहीं अब यह संख्या घटकर सिर्फ 7.5 करोड़ रह गई है। यानी बीते 11 वर्षों में करीब 26.9 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर निकले हैं। यह उपलब्धि वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति को और मजबूत करती है।
इस क्रांतिकारी परिवर्तन के पीछे सबसे बड़ा योगदान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और उनकी गरीब-कल्याण योजनाओं को दिया जा रहा है। जनधन योजना, उज्ज्वला योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, और मुद्रा लोन जैसी योजनाओं ने सीधे तौर पर ज़रूरतमंदों तक लाभ पहुँचाया है।
किन राज्यों का रहा सबसे बड़ा योगदान?
उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य जो पहले देश की 65% अत्यधिक गरीब आबादी का घर माने जाते थे, उन्होंने गरीबी घटाने में दो-तिहाई से अधिक योगदान दिया है। यह इस बात का प्रमाण है कि नीति निर्धारण और योजनाओं का ज़मीनी स्तर पर प्रभाव पड़ा है।
इन राज्यों में इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास, ग्रामीण रोजगार, और सामाजिक कल्याण की योजनाओं को तेजी से लागू किया गया, जिससे निचले तबके को न केवल सहायता मिली, बल्कि वे आर्थिक रूप से सशक्त भी हुए।
क्या है आगे की राह?
हालांकि ये उपलब्धि गर्व की बात है, लेकिन भारत के सामने अब अगला लक्ष्य है – गरीबी का पूर्ण उन्मूलन। सरकार का फोकस अब ग्रामीण अर्थव्यवस्था को और मजबूत करने, स्किल डेवलपमेंट बढ़ाने और महिला सशक्तिकरण पर है।
साथ ही, आने वाले वर्षों में डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसे अभियान भी इस परिवर्तन को गति देंगे। समावेशी विकास और सतत आर्थिक वृद्धि भारत को एक विकसित राष्ट्र की दिशा में ले जा सकते हैं।
भारत में अत्यधिक गरीबी की दर में इतनी बड़ी गिरावट सिर्फ आर्थिक नीतियों का ही नहीं, बल्कि एक सकारात्मक सोच और राजनीतिक इच्छाशक्ति का भी परिणाम है। वर्ल्ड बैंक की यह रिपोर्ट दुनिया को दिखाती है कि भारत न केवल अपने नागरिकों के लिए बेहतर भविष्य बना रहा है, बल्कि वह वैश्विक गरीबी को खत्म करने की दिशा में एक प्रेरणास्रोत भी बन चुका है।
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