दिल्ली में इस समय एक बड़ा मुद्दा चर्चा में है। प्राइवेट स्कूलों की बेलगाम फीस वृद्धि। जहां एक ओर माता-पिता अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए पहले ही आर्थिक बोझ से जूझ रहे हैं। वहीं दूसरी ओर निजी स्कूलों की ओर से मनमानी तरीके से फीस बढ़ाने की घटनाएं सामने आ रही हैं।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में आतिशी का तीखा हमला
आम आदमी पार्टी की वरिष्ठ नेता और दिल्ली की पूर्व शिक्षा मंत्री आतिशी ने एक प्रेस वार्ता में इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा और प्राइवेट स्कूलों के बीच मिलीभगत के चलते यह मनमानी हो रही है।आतिशी का कहना है कि भाजपा सरकार के आने के बाद से ही स्कूल प्रशासन को खुली छूट मिल गई है – अब न कोई निगरानी है, न कोई ऑडिट। सिर्फ माता-पिता से पैसे वसूलने की होड़ लगी है।
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स्कूलों के बाहर प्रदर्शन, बंद दरवाज़े
दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में स्कूलों के बाहर माता-पिता प्रदर्शन कर रहे हैं। कई मामलों में स्कूलों ने गेट तक लॉक कर दिए हैं, जिससे अभिभावकों को अंदर जाकर अपनी बात रखने का भी मौका नहीं मिल रहा।
AAP शासन में कैसे होता था नियंत्रण?
जब दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार थी। तब प्राइवेट स्कूलों को फीस बढ़ाने से पहले सरकार से अनुमति लेनी होती थी। स्कूलों का चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा ऑडिट होता था। गलत तरीके से ली गई अतिरिक्त फीस को लौटाने का आदेश दिया जाता था।
अब क्या बदल गया है?
अब, स्कूलों पर किसी भी तरह की निगरानी नहीं रही। फीस कितनी बढ़ रही है, क्यों बढ़ रही है, इसका कोई हिसाब नहीं। और इसका सीधा असर पड़ रहा है – मिडल क्लास परिवारों की जेब पर। सवाल उठता है क्या शिक्षा अब सेवा नहीं, बल्कि एक मुनाफे का धंधा बन चुकी है? क्या सरकार को नहीं चाहिए कि वो इस मुद्दे पर सख्ती से कदम उठाए? और क्या माता-पिता की आवाज़ अब सिर्फ सोशल मीडिया तक ही सीमित रह गई है? क्या आप भी इस तरह की फीस वृद्धि का शिकार हुए हैं? क्या आपके बच्चे के स्कूल में भी ऐसी ही मनमानी हो रही है?
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